सेकुलर सर्प प्रजाति, वस्तुतः है मनुवादी
मुस्लिमों को सर सैयद अहमद के नेतृत्व में अंग्रेज मुस्लिमों को हिंदुओं से अलग कर पाने में असफल रहे थे , किन्तु देश के दुर्भाग्य से लोकमान्य तिलक का आकस्मिक निधन हो गया और गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से दूसरे दशक में भारत आ गए अथवा लाये गये और एक "सन्त वेश" में अंगेजों के परोक्ष सहयोग से कांग्रेस के ....
सेकुलर सर्प प्रजाति, वस्तुतः है 'मनुवादी'
"जिन्नावादी'  जहर  में  , 'मीरजाफरी'    झोल।
                 'गरल 'विभीषण द्रोह' का ,घुले बने  जो घोल।।
                 घुले बने जो घोल , मिले कुछ बिष 'जयचंदी '।
                 'गांधीवादी मधुर  , संखिया   भी   'छलछंदी' ।।
                 बने  'पञ्चबिष' जोकि , यही है  सेकुलरवादी।
                 'सेकुलर  सर्प'  प्रजाति, वस्तुतः है  'मनुवादी' ।।"
               " बिषधारी 'अजगर अजब' ,यह है सेकुलरवाद।
                 जबड़े  में  इसके   फँसा ,देश  हुआ बरबाद ।।
                 देश  हुआ  बरबाद ,  'पाक -भू निगल चुका है।
                 फिर निगला कश्मीर , निगलना  नहीं रुका है।।
                 'नेफा ' निगला  'वंग' ,  न  माने   यह   है  यारी।
                 हिंदु  फँसे   बेहोश , रहा  अजगर   बिषधारी ।।"
   विशेष .....
           "छलछंदी "... गत शताब्दी के  पहलेदशक  में जब मुस्लिम लीग और हिन्दूसभा आमने सामने थे ।कांग्रेस इनसे अलग दोनों पक्षों को समाहित करते   हुये लोक मान्य तिलक केराष्ट्रवादी नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ रही थी ,जिन्ना मुस्लिम लीग  के मजहबी एजेण्डा के सख्त विरोधी थे । मुस्लिमों को सर सैयद अहमद के नेतृत्व में अंग्रेज मुस्लिमों को हिंदुओं से अलग कर पाने में असफल रहे थे ,
                        किन्तु देश के दुर्भाग्य से लोकमान्य तिलक का आकस्मिक निधन हो गया और गांधी  जी दक्षिण अफ्रीका से दूसरे दशक में भारत आ गए
                         अथवा लाये गये और एक "सन्त वेश" में अंगेजों के परोक्ष सहयोग से कांग्रेस के नेतृत्व पर अदृश्य नियंत्रण कायम कर लिया और ऊपर
                           से हिन्दू सभाई ,भीतर से मुस्लिम लीगी का सफल अभिनय करते हुये " पाकिस्तान  मेरी लाश पर बने गा अर्थात् मेरे जीवित रहते नहीं
                        बन पायेगा "  की घोषणा के साथ हिन्दू महासभा को निष्प्रभावी कर दिया । गांधी की दोहरी नीति से चिढ़कर जिन्ना  कांग्रेस छोड़ कर मुस्लिम लीग  में शामिल हो गए और और मुस्लिम लीग की भारत के कुछ भू भाग की 'स्वयत्तता' की मांग 'भारत के विभाजन' में बदल गयी। जिन्ना और अंग्रेजों ने  हिन्दू महासभा को बेअसर करने के लिये कांग्रेस को हिन्दू पार्टी प्रचारित कर दिया। परिणाम आजादी का आन्दोलन दो इस्लामवादी दलों ..' ज़िन्ना  के नेतृत्व में मुस्लिम लीग' और 'गांधी के नेतृत्व में छद्म मुस्लिम लीग अर्थात् 'कांग्रेस ' में विभाजित हो गया । हमारे सभी राष्ट्र् वादी नेतृत्व , सुभाष बोष, सरदार पटेल, डॉ राजेन्द्र प्रसाद ,डॉ अम्बेडकर आदि को यह पिशाच त्रयी ...अंग्रेज  ,मुस्लिम लीग ,कांग्रेस ... अजगरी चाल से निगल गई और भारत के विभाजन में सफल हो गई ।यहाँ यह खुला हुआ रहस्य है कि गांधी जी ने अपनी घोषित प्रतिज्ञा के विपरीत जीवित रहते हुये विना आमरण अनशन , जनता को विना विश्वास में लिए अर्थात् बिना जनमत संग्रह के मेज पर 
                           एक कमरे में बैठ कर माउंट बेटन और जिन्ना द्वारा तैयार  संविधान के प्रारूप के अनुरूप भारत का विभाजन  कैसे स्वीकार कर लिया । ऐसा और इतना बड़ा निर्णय  नेतृत्व द्वारा अपनी ही जनता के  साथ विश्वासघात इतिहास में  मेरी जानकारी
                           में तो अनुपलब्ध है । 
"पञ्च बिष" ..... गणित की भाषा में सूत्र रूप में सेकुलरवाद. सेकुलर वाद = जिन्नावाद + मीरजाफर वाद + विभीषणवाद + जयचंदवाद + गांधीवाद ।
"अजगर अजब "..... इस  प्रकार सेकुलर वाद ऐसा दुर्लभ अजगर है ,जो बिष धारी अर्थात् उक्त सन्दर्भ में "पञ्च बिषधारी"
              है ।सामान्यतः अजगर  बिष हीन माना जाता है ।
"मनुवादी "..... एक   शासकीय षड्यंत्री बौद्धिक महा अभियान के तहत अकबर ने भारतीय जनता को स्थाई रूप से तोड़ने के लिये  "जर जोरू जमीन " के  प्रलोभन के साथ बादशाही आदेश  से    प्रकाण्ड विद्वान् पंडित बजरंग दास उर्फ़ "गुलाम अली 'मनु " को समस्त मान्य हिन्दू धर्म ग्रंथों को नष्ट भ्रष्ट करने का विषम कार्य सौंपा ।चूँकि वह अकबर का दरबारी अत्यधिक अय्याश भी था ।अतः उसने बड़ी वफ़ादारी से
       अपने दायित्व का निर्वाह किया सबसे अधिक उसने मनुस्मृति को भ्रष्ट किया ।उसमें " वैवस्वत मनु द्वारा रचित  मनुस्मृति" में हिन्दू समुदाय को स्थाई रूप से तोड़ने के लिए अनेक विषाक्त अंश जोड़ दिए ,जोकि मूल मनुस्मृति के उद्देश्य और स्थापनाओं के सर्वथा विपरीत थे । साथ ही  बादशाही फरमान से  काशी की विद्वत्परिषद् से अनुमोदित करवा कर सभी गुरुकुलों में वल पूर्वक लागू कर दिया , जो अभी तक
          उसी रूप में अपरिष्कृत रूप में उपलब्ध है । महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती ने  गंभीर शोध करके मात्र 60 के लगभग श्लोकों को ही वैवस्वत मनु द्वारा रचित माना है । जो मनुस्मृति चर्चा और विवाद में है वह "वस्तुतः गुलाम अली मनु ''द्वारा भ्रष्ट की गई "अकबरी मनुस्मृति"
    है और आजकल प्रचारित "मनुवाद का  स्रोत "यही फर्जी मनुस्मृति है । इस तथ्य से सभी सवर्णवादी और अवर्णवादी अवगत हैं।
         किन्तु  "बांटो और राजकरो " की नीति के लिए इन्हें यह "अकबरी मनुस्मृति " ही उपयोगी रही है ।अतएव ये दोनों मिलकर मनुस्मृति के प्रक्षिप्त अंशों को निकालने के लिये तैयार नहीं हैं ।
  "नेफा ".... उत्तर पूर्व सीमा क्षेत्र ( north east frontier area) 50 हजार वर्गकिलोमीटर भारत का क्षेत्र 1962 में  युद्ध में सेकुलरवाद के चलते चीन के कब्जे में चला गया ,जो अभी तक उसी के कब्जे में है ।
 
" वंग ..." भारत विभाजन के पूर्व पूरा वंगाल .....पूर्वी वंगाल और पश्चिमी वंगाल ...भारतीय केन्द्रीय सत्ता के अधीन था । विभाजन के समय पूर्वी वंगाल पूर्वी पाकिस्तान बन गया, जोकि अब वंगला देश है और पश्चिमी वंगाल भारत के पास रहा । यहाँ यह तथ्य विशेष रूप से उल्लेख नीय है कि विभाजन के समय पूरे वंगाल में मुस्लिम आबादी मात्र 35 % थी ।अब दोनों वंगाल में कुल मिलाकर हिन्दू और बौद्ध आबादी 40 % के लगभग शेष बची है ।इस समय दोनों वंगाल में जिस गति से इस्लामीकर सेकुलरवादी दलों के सहयोग और संरक्षण में चल रहा है । 2030 तक वंगाल कश्मीर की भांति हिन्दू सिख और बौद्ध विहीन हो जायेगा ।
