हिन्दुत्व के प्रति घृणा का इतिहास-37-1
१. अंग्रेजों का जाल और उनकी चाल ........ ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने आई थी पर आरम्भ से ही उसकी नज़र अपने अड्डे के विस्तार पर थी. मैकाले ने तत्कालीन भारत सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा था... It had its forts and its white Captains, and its black Sepoys,..
हिन्दुत्व के प्रति घृणा का इतिहास - 37
मैं इस पोस्ट को उपशीर्षकों में बाँट कर एक ही दिन में कई टुकड़ों में पेश करूंगा:
१. अंग्रेजों का जाल और उनकी चाल
ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने आई थी पर आरम्भ से ही उसकी नज़र
अपने अड्डे के विस्तार पर थी. मैकाले ने तत्कालीन भारत सरकार पर कटाक्ष
करते हुए कहा था:
It had its forts and its white Captains, and its
black Sepoys, it had its civil and criminal tribunals, it was authorised
to proclaim martial laws, it sent ambassador to the native governments,
and concluded treates with them, it was zamindor to the native
governments,and within these districts, like other zamindars of the
first class, it exercised the powers of a sovreign even to the
infliction of capital punishment on the Hindus within its distinction.
... The Zamindar became a great Nabob, the nabod became sovereign of all
India, the two hundred sepoys became two hundred thousand.
यह
कमाल उसने अपनी चालाकी और हमारी नादानी के सहयोग के बल पर किया था. लाला
लाजपत राय ने अपनी पुस्तक Young India में इसे धूर्तता, विश्वासघात,
वादाखिलाफी और कमीनेपन के रूप में पेश किया था.
To continue the thread
of my narrative: the history of British “conquest” of India from 1757
to 1857 A. D. is a continuous record of political charlatanry, political
faithlessness, and political immorality. It was a triumph of British
“diplomacy.” The British founders of the Indian empire had the true
imperial instincts of empire-builders. They cared little for the means
which they employed. Moral theorists cannot make empires. Empires can
only be built by unscrupulous men of genius, men of daring and dash,
making the best of opportunities that come to their hands, caring little
for the wrongs which they thereby inflict on others, or the
dishonesties or treacheries or breaches of faith involved therein. ...
The British conquest of India was not a military conquest in any sense
of the term. They could not conquer India except by playing on the fears
of some and the hopes of others, and by seeking and getting the help of
Indians, both moral and material.
परन्तु कमीनापन और कूटनीति को बहुत पहले से एक दूसरे का पर्याय बनाया जा चुका था और इसे न समझ पाने के कारन ही हिंदुओं को मध्य काल में भारी क्षति उठानी पड़ी थी. पहली बार शिव जी ने पुराने आदर्शवाद को धता बताते हुए अपने मामूली सैन्यबल से ही औरंगज़ेब को नाकों चने चबवाए थे. अंग्रेजों ने उसी का अधिक सफलता से प्रयोग करते हुए सबके छक्के छुड़ा दिए जिनमें मराठे और सिख भी थे. हमें दूसरों के कमीनेपन को दोष देने की जगह अपनी मूर्खताओं की पड़ताल करनी चाहिए थी, जो हमने नहीं किया. मुग़ल परम्परा में पल सर सैयद अहमद भी इस चाल को नहीं समझ पाए, यह दुखद है.