भौंक रहा दिनरात, हेजरी फिर बौराया
हेजरी .... सभी मित्र परिचित हैं ,वैसे यह मनुष्यों में एक कुत्तों की प्रजाति भी है ।जो चार वर्ष पहले अन्ना हजारे के गांधीवादी आन्दोलन से अचानक पैदा हुई है । जिन्ना वादियों और माओवादियों की की सहायता से गांधीवादी मुखौटे में पूर्व से खंडित भारत को टुकड़े टुकड़े करके ....
भौंक रहा  दिनरात, हेजरी  फिर  बौराया
इस चुनाव परिणामसे सिद्ध होगया है कि हमारे पास ( विपक्ष के पास ) मोदी जैसा प्रभावशाली नेता नहीं है ।अब हम लोगों को 2019 के लोकसभा चुनाव की नहीं 2024 के चुनाव की तैयारी करनी चाहिये ( अर्थात् 2019 के चुनाव में भाजपा की जीत अभी से सुनिश्चित हो गई है ) । ----- "उमर अब्दुल्ला ,जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री "
              " बौराया'  है   'हेजरी' , 'मनुजाकृति  में  स्वान '।
               'अम्मी'  इसकी  चीन है ,  'अब्बू ' पाकिस्तान ।।
               अब्बू   पाकिस्तान  ,  वहीँ  से   इसने   सीखा ।
                पैसा -पद का  दूध , पिये  बिष उगले  तीखा ।।
                इंजेक्शन   'रैबीज ', हार   का   पचा  न पाया ।
                भौंक  रहा  दिनरात ,  हेजरी   फिर   बौराया ।।"
                "माया ' की  'माया   मुई' , नहीं चली  इस  बार ।
                दलित जनों के वोटका,  फेल    हुआ  व्यापार।।
                फेल  हुआ  व्यापार , दलित भी समझ गया है।
                मोदी में मिल गया ,  उसे    'रहनुमा'  नया  है ।।
                लोकसभा में मिला ,  'कुफल 'फिर  से  है पाया ।
                तब ' ईवीएम 'थी ठीक ,आज इसमेंकुछ 'माया'।।
                "मुद्दा  ई वी एम   नहीं ,   मुद्दा  है   कुछ  और ।
                राजनीति  में अब इन्हें ,  नहीं  बची  है   'ठौर' ।।
                नहीं  बची  है  ठौर ,  हार  से   मरे   हुये    हैं  ।
                अगला 'निकट चुनाव,'   देख  सब   डरे हुये हैं ।।
                ई वी एम  तो   रही  ,  वस्तुतः     है   ' नामुद्दा'  ।
                अगली  निश्चित  हार,  बनी  है   असली मुद्दा ।।"
                "सबकी सेकुलर नीति है ,अधिकाधिक उलझाव।
                 'बैलट ' से  मतदान  हो  , ऐसा   अतः   सुझाव ।।
                ऐसा अतः सुझाव  ,   'अस्वीकृत '  ही  होना  है  ।
                हर  चुनाव  में इन्हें ,  सतत्  ' रोना   धोना '   है ।।
                जनमत  का 'अपमान ', किये  हैं  जो  ये अबकी ।
                सभी  क्रुद्ध जन  पुनः , खबर  लेंगे इन  सबकी।।"
   विशेष ....
              
बौराया ..... कुत्ता  के पागल होने की अवस्था ।
              
हेजरी .... सभी मित्र परिचित हैं ,वैसे यह मनुष्यों में एक कुत्तों की प्रजाति भी है ।जो चार वर्ष पहले अन्ना हजारे के गांधीवादी आन्दोलन से अचानक पैदा हुई है ।  जिन्ना वादियों और माओवादियों की की सहायता से गांधीवादी मुखौटे में पूर्व से खंडित भारत को टुकड़े टुकड़े करके अंतिम रूप से समाप्त करके इसका  समग्रता में इस्लामीकरण करना  इनका अंतिम लक्ष्य है ।
            
रैबीज .... कुत्ते के पागल पन के खतरनाक कीटाणु ।
          
माया ..... ? सभी मित्र प्रायः परिचित ही हैं ।
          
माया मुई .... छल ,फ़रेब ,प्रपञ्च ।
          
रहनुमा ....  शुभ चिन्तक ,प्रतिनिधि नेता।
          
कुफल .... गत  लोकसभा चुनाव में पूर्व के 5 वर्ष के शासन के दुष्परिणाम के रूप में शून्य उपलब्धि ,जबकि केंद्र में बसपा समर्थित यू पी ए और राज्य में  बबुआ अर्थात् भतीजे की सरकार थी ।कहीं भी मोदी की सरकार नहीं थी ।
ठौर .... स्थान ,जगह ,स्कोप ।
          
निकट चुनाव ....आगामी लोकसभा चुनाव ।
          
मरे हुये .... अत्यधिक निराश ,हताश ,उत्साह विहीन ।
          
बैलट ..... मतदान पत्र द्वारा ,जिसका प्रयोग  बहुत पहले हुआ करता था  ।तब वोटों की काउंटिंग में मतपत्रों की हेराफेरी और व्यापक स्तर पर लूट हो जाया करती करती थी । ई वी एम  से उस पर बिलकुल अंकुश लग गया है ।  पराजित विरोधी दल  जनता को मुर्ख बनाने के लिए उसी   व्यवस्था की   वापसी की अव्यवहारिक मांग कर रहे हैं ।जिसको कि भारत का निर्वाचन आयोग अनेक अवसरों पर अस्वीकृत कर चुका  है । 
अधिकाधिक उलझाव .... वर्तमान और भविष्य की संभावित पराजय से भयभीत ,जैसा कि उमर अब्दुल्ला के वक्तव्य से अभिव्यक्त और पुष्ट होता है , सभी पराजित विरोधी दल देश में निर्वाचन प्रणाली में अविश्वास पैदा करके अराजकता पैदा करना चाहते हैं ।इसमें इन्हें भारत के शत्रुराष्ट्रों चीन और पाकिस्तान का भरपूर संरक्षण और प्रोत्साहन मिला हुआ है । जैसा कि चीन और पाकिस्तान के मीडिया में मोदी की जीत पर गहरी चिन्ता व्यक्त की गई है । भारत के पराजित विरोधी दलों और शत्रु राष्ट्रों के " मोदी विरोध '' की भाषा में समानता कोई आकस्मिक घटना नहीं है । गत कई वर्षों से इन सभी सेकुलर दलों के प्रतिनिधि चीन और पाकिस्तान जाकर खुले आम मोदी को हटाने के लिए सभी प्रकार की संभावित मदद मांगते रहे हैं ।इनकी इन्ही ग़द्दार हरकतों का जबाब देशभक्त जनता ने इस चुनाव में वोटिंग के द्वारा दिया है।यदि ये अब भी अपनी भारत विरोधी हरकतों से बाज नहीं आये ,तो जनता को सीधे सड़क पर उतर कर इनको उपयुक्त जबाब देना होगा । लगता है देश के विरोधी दल जनता को उसी तरफ बलात् खींच रहे हैं ।
