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2003 मई की रात 9:30 बजे मेरी बिना गलती के भी बॉस द्वारा 4 बातें कहे जाने पे मेरी प्रतिक्रिया कुछ यूं थी . "सेठ जी बत्ती बना के रखो अपने काम की . ढाई हजार महीना में खरीद लिए हो क्या . लाइए हिसाब दीजिये कल से नहीं आएंगे" ..

21-22 साल उस वक़्त आयु थी मेरी .. युवा जोश हिलोरे मार रहा था बीबी बच्चे कुछ नहीं थे .. घर पे राजस्थान में कभी पानी की ग्लास खुद भर के पानी नहीं पिया .. दिल्ली की परिस्थति से मेरा तालमेल नहीं बैठ रहा था .. खुद बनाओ खाओ .. 10km रोज़ बस में लटक के जॉब पे जाना 10km लटक के वापिस रात 10 बजे आना .. फिर घर आ के खाना बना के खाना 3 बजे उठ के पढ़ाई भी करनी .. बर्तन ठीकरे खुद मांजना .. कपड़े धोना प्रेस करना .. जॉब पे 4km का बस के अलावा पैदल भी अप डाउन था ..

मानसिक शारीरिक रूप से टूट चुका था मैं .. 2001 का जॉब 2003 में छोड़ के 8 महीने धक्के खाये भारत में .. मनपसन्द जॉब नहीं मिला .. पुराने बॉस का फिर बुलावा आ गया .. उन्हें लड़का चाहिए था मुझे जॉब .. दुबारा ज्वाइन किया .. 2007 में फिर कहासुनी हुई फिर छोड़ दिया .. फिर बॉस ने बुलाया लेकिन तब तक मेरा सिक्का चल चुका था किस्मत पलटी खा चुकी थी .. आज बॉस से बड़ा काम है मेरा ..

कहने का मतलब इंसान जॉब क्यों छोड़ता है और क्यों अनुशासनहीनता करता है .. इसके कई कारण हो सकते है  हर वक़्त अलग अलग परिस्थतियों में इंसान शारीरिक और मानसिक तालमेल नहीं बैठा सकता है  कार्यक्षेत्र में 100% संतुष्ट ना बॉस होता है स्टाफ से ना स्टाफ बॉस से  ऊपर से इंग्लिश की एक मशहूर कहावत  THE BOSS IS ALWAYS RIGHT ..

आज सब फौजी तेज बहादुर का पुराना रिकॉर्ड खंगाल रहे है  कह रहे है उसने अनुशाशनहीनता की  अरे की होगी अनुशाशनहीनता लेकिन उसने क्यों की आप ये बताओ ना मुझको..
हरियाणे राजस्थान के गर्म जलवायु भौगोलिक क्षेत्र का आदमी  कश्मीर सियाचिन लद्दाख में तैनात होता है  ठंडे क्षेत्रों के निवासी जैसलमेर बाड़मेर हिकानेर के 50℃ से ज्यादा तापमान में तैनात होता है  घर का माहौल अलग कार्यक्षेत्र का माहौल अलग  भौगोलिक जलवायु खान-पान रहन-सहन अलग  20 घण्टे की ड्यूटी  पीठ पे 30kg का बस्ता  पैदल गश्त या एक जगह खड़े रह के ड्यूटी .. दुश्मन घात लगा के बैठा है कब सीना छलनी कर दे .. ऊपर से अफसरों का दबाव मनमाना रवैया  घर परिवार की 1000 चिंतायें..

एक इंसान कितना दबाव झेल सकता है मेंटली और फिजिकली बताइये  गुस्से झेंप खीझ में कई वार हो जाता है मिस-बिहेव  उम्र का तकाजा होता है लड़कप्पन में जोश रहता है  30-35 में परिपक्वता आती है .. ऑनलाइन बैठ के एक फौजी की देशभक्ति ज़ज मत कीजिये जिसने देश को 20 साल दिए हैं .. इस मुद्दे पे जातिवाद भी मत कीजिये  दोषियों पे कार्यवाही होनी ही चाहिये .

शिकायत का तरीका बेशक सही गलत हो सकता है  इस फौजी का तरीका बेशक मुझको गलत लगा लेकिन आवाज़ उठानी जरूरी है अगर कुछ गलत हो रहा है ..
सशस्त्र बलों में अनुशासन जरूरी है  वीडियो बना के अपलोड करने का प्रचलन बढ़ रहा है चार वीडियो आ चुके है  इसपे पाबंदी जरूरी है लेकिन किसी की अभिव्यक्ति की आज़ादी के हनन की कीमत पर नहीं .. सरकार कोई कमेटी बना के शिकायत निवारण एवं सुनवाई की इस समस्या का स्थायी निदान करें  सिर्फ फौजी ही नहीं हर सरकारी अर्ध-सरकारी और गैर-सरकारी अधिकारी कर्मचारी की समस्या का निदान !!!!

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