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आजकल एक मेसेज फिर से घुमाया जा रहा है "ऑस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री ज्यूलिया गिलार्ड को दुनिया की रानी बना देना चाहिए । " बस भी करो भाई । पहली बात तो यह है कि उसने ऐसा मुस्लिम विरोधी स्टेटमेंट कभी किया नहीं जो उसके नामपर चलाया जा रहा है । दूसरी बात यह है कि 2013 में वहाँ चुनाव हुए, वो अब ऑस्ट्रेलिया की PM नहीं रही।

रशिया के पुतिन के नाम से भी ऐसी ही एक कड़वी टिप्पणी घूम रही है जिसका वे भी इन्कार कर चुके हैं । मुझे पूरा यकीन है कि अब ट्रम्प के नाम से भी नया कुछ चालू किया जाएगा । लेकिन हमें यह सोचना चाहिए कि ऐसे मेसेज क्यूँ बनते हैं या वायरल होते हैं ।

साफ है कि मुस्लिमों की हरकतों से नाराज दुनिया अपना गुस्सा जता रही है । अगर गिलार्ड, पुतिन का नाम लिया जा रहा है तो इसलिए कि ये लोग इस काबिल माने जा रहे हैं कि मुस्लिमों की हिंसा बर्दाश्त नहीं करेंगे और सब के लिए मिसाल बनेंगे । हो सकता है कि एक दिन दुनिया का सब्र का बांध टूट जाये और किसी के नाम का इस्तेमाल करना जरूरी न लगे ।

The Picture Of Dorian Gray पढ़ी है आप ने ? बड़ी इंट्रेस्टिंग कहानी है । एक निहायत खूबसूरत अमीर डोरियन ग्रे का चित्रकार दोस्त उसकी पोर्ट्रेट बनाता है । कुछ ऐसा हो जाता है कि जैसे डोरियन ग्रे की उम्र बढ़ती है, तबदीली पोर्ट्रेट में होती है, डोरियन वैसे का वैसे जवान रहता है । डोरियन को यह समझ में आता है तो वो अपने राजदार चित्रकार का खून कर देता है और पोर्ट्रेट अपने घर लाकर अटारी के एक बंद कमरे में छुपा देता है । किसी को वहाँ प्रवेश नहीं ।

अब यह होता है कि वह पोर्ट्रेट डोरियन की उम्र का ही नहीं, उसकी आत्मा का भी दर्पण बन जाता है । उम्र तो है ही, उसके कुकर्मों से उसकी कैरक्टर में जो बदल होते है, सब पोर्ट्रेट के चेहरे पर दिखते हैं, वो पोर्ट्रेट जीवित और बीभत्स दिखता है ।एक दिन डोरियन उससे आँख मिलाता है, उसकी बीभत्सता असह्य होती है और उस पोर्ट्रेट के सीने में छुरा घोंप देता है । एक चीख सुनाई देती है, नौकर दौड़े आते हैं, बंद कमरे का ताला तोड़ते हैं और देखते हैं कि फर्श पर एक लाश है, डरावना और घिनौना चेहरा है । सीने में छुरा घोंपा हुआ है । सामने डोरियन ग्रे की हंसमुख तस्वीर है, जैसा डोरियन ग्रे उन्होने हमेशा देखा था । बस लाश की उँगलियों में जो अंगूठियाँ हैं, उससे उन्हें सच्चाई समझ में आती है।

मुसलमान और इस्लाम की बात करता हूँ तो मुझे हमेशा यह कहानी याद आती है । यह सामना जिस दिन होगा, मुसलमान के लिए कयामत होगी , अफसोस, वैसी नहीं होगी जिसके एवज़ में उसने खुद को बेच डाला है ( 9:111)

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