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यूपी में नई सरकार आने के बाद सरकारी दफ्तरों और अफसरों की कार्यशैली बदली हुई है। हर जगह सीएम योगी का खौफ साफ तौर पर देखा जा सकता है लेकिन आरटीओ महकमा अपनी पुरानी राह पर है। यहां आरटीओ खुद भ्रष्टाचार की जड़ों में पानी डाल रहे हैं। नई सरकार का रूख जानने के बाद अफसर रोजना बिना परमिट की गाड़ियों का चालान ठोंक रहे हैं, ये वही गाड़ियां हैं जो अभी कुछ दिनों पहले पुरानी सरकार में नियम कानून से बेपरवाह सड़कों पर फर्राटें मारती थीं।

बस्ती के फुटहिया चौराहे पर विभाग के एक अफसर डबल डेकर बस का चालान कर रहे थे, इसी बीच किसी ने कहा लगता है आरटीओ महकमे के अफसरों का ज़मीर जाग गया है, मुझे हंसी आयी लेकिन वहां हंसना उचित नही था, फिलहाल मुझे पूरा नजारा देखने में आनंद आया। सच्चाई देखनी हो तो आपको समय देना होगा। रात में जब सारी दुनिया सोती है तो आरटीओ विभाग के अफसर हाईवे पर नोटों की गड्डियां बना रहे होते हैं। इसका बंदरबांट कैसे होता है सुनकर आश्चर्य होता है। सूत्रों की मानें तो इसमें आरटीओ के सिपाही से लेकर टीसी तक का हिस्सा होता है। जानकार बताते हैं कि विभाग के अफसर हों या कर्मचारी पूरे कार्यकाल में तनख्वाह न निकालें तो भी ऐशो आराम का जीवन जियेंगे।

आरटीओ जैसा गैर जिम्मेदार विभाग शायद दूसरा नही होगा। 50 फीसदी सड़क हादसों का जिम्मेदार विभाग खुद है। सड़क सुरक्षा के नाम पर विभाग के जिम्मेदार लाखों डकार जाते हैं। नतीजा सिफर रहता है। अनट्रेन्ड हाथों में गाड़ियों की स्टेयरिंग है। पिछले 10 सालों से बिना ट्रायल के धड़ल्ले से ड्राइिंवग लाइसेंस जारी हो रहे हैं। पूछने पर जवाब मिलता है कि महकमे के पास ट्रायल फील्ड नही है। जिला प्रशासन से लेकर सरकार तक कोई ट्रायल फील्ड की व्यवस्था नही कर सका।

सुविधा शुल्क देकर आप जिसका लाइसेंस चाहे बनवा सकते हैं। बायोमेट्रिक और टेस्ट के नाम पर आफिस में लूट मची है, कोई भी मौके पर जाकर सच्चाई देख सकता है। कामर्शियल और हैवी चाहन चलाने के लिये बेरोकटोक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट बांटे जा रहे हैं। एक छोटे से कमरे में बोर्ड लगाकर ट्रेनिंग स्कूल चलाये जा रहे है जो एक भी मानक के अनुसार नही हैं। आाधा दर्जन से ज्यादा स्कूलों के संचालकों की इमानदारी देखिये उन्होने पाप में विभाग के अफसरों को भी बराकर का जिम्मेदार बना रखा है। कहते हैं सर्टिफिकेट के नाम पर ली गई धनराशि हम अकेले थोड़ी लेते हैं। सच्चाई ये है कि उन्हे खुद ही यातायात नियमों की जानकारी नही है।

योगी सरकार का थोड़ा खौफ दिख रहा है, लेकिन अब सबकुछ बेहद चालाकी से किया जा रहा है। भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये नई सरकार द्वारा लिये जा रहे ताबड़तोड़ फैसलों की जितनी सराहना की जाये कम है लेकिन आरटीओ, रजिस्ट्री, ट्रेजरी, राजस्व विभागों के भ्रष्टाचार रोकने के लिये अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर उन्हे जेल भेजना होगा। यहां भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हैं कि छोटी मोटी धमकियों का कोई फर्क नही पड़ने वालां। जो डग्गामार वाहन बस्ती और आसपास के इलाकों से चलकर दिल्ली तक फर्राटें भरते थे, अब अफसर उन्ही वाहनों का चालान कर रहे हैं, ऐसे में रोडवेज को करोड़ो की क्षति पहुचाने का जिम्मेदार आखिर कौन है। 

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