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चाँद तन्हा हैं कोई कहता हैं कोई कहता हैं आवारा हैं चाँद, कोई यह भी कहता हैं की वह प्रेमी हैं ,,,,,
कई यो ने तो उसके महबूब का नाम तक रख दिया ...
मेरे ख्याल से अनेक तारों के साथ रहते कोई तन्हा कैसे हो सकता हैं |
मतलब चाँद तन्हा नही हैं यह एक कोरी गप्प हैं |
बस जो दर्द के मारे यारो ने फैला रखी है |
अब बात करते है चाँद के आवारापन के बारे में ...
चाँद एक दम रूटीन का पक्का बंदा हैं |
रात होते ही निकलता है
और निश्चित समय पर आकार बदलता हैं |
मतलब चाँद आवारा नही हो सकता ...
कुछ लोगो का यह भी मानना हैं की चाँद एक प्रेमी है |
जो अपनी मासूका के लिये आकाश में भटकता रहता है ....
और नजरे जमाये रखता हैं |
परन्तु चाँद तो कभी अपनी महबूब से मिलता ही नही ...
कैसे यह अाशिक दिवाना हो गया ...
मजा तो तब आता हैं ...
जब कई लोग इसकी तुलना अपनी दिलरूबा से करते हैं ,,,
कई गीत गज़ले लिखी गई इस बात को लेकर ओर कई तो हिट भी है आजकल ...
चाँद तन्हा हैं ,, चलो मानते है चाँद आवारा है ,,चलो मानते है यह भी मानते है की वह आशिक हैं ,,,
और आपकी दिलरूबा का चेहरा भी ठीक चाँद जैसा है ....
एकदम गोल मटोल चमकीला और कभी टूटा फूटा ...
बदरंग सा .....
क्यो कुछ लोगो ने कह दिया और आपने मान भी लिया ...
वाह वाह भी कर बैठे उसके लिये ...
परन्तु एक बार किसी से मन से सोचा वह है क्या आप तो अपनी जरूरत के हिसाब से उसको बदलते चले गये ...
फलाना है चाँद ढिमाका है चाँद ...
अाखिर हैं क्या चाँद ...
निकल पड़ता है ...
यह शाम होते ही उस विरल गगन में अपनी मित्र मण्डली के साथ और पृथ्वी पर डोरे डालने लगता है ..
ठीक हिन्दी फिल्मो के हीरो की तरहा यह भी अपने अन्य मित्रो से बेहतर दिखता है ...
चेहरे पर एक ठरक लिये बस घूरता रहता है ..
हमारी सुन्दर सी पृथ्वी को ...
और चाँद की कुटिल दृष्टि के तीक्ष्ण बाणो से पृथ्वी का मन डवाडोल हो जाता है ...
मित्रो यह चाँद कोई प्रेमी नही न ही आवारा है न ही तन्हा ...
यह एक नम्बर का ठरकी है ..ससुरा ..
सिर्फ छिछोरपन्थी करता हैं ,,, बच के रहो इससे ...
नही आपकी दिलरूबा पर भी डोरे डालना शुरू कर देगा ..:-)
@अंकित तिवारी,,,,


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