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मार्क्सवादी मिथकों को ध्वस्त करने के लिए Indian "Mythology" अवश्य पढ़िये । मल्टीपर्पज काम है । रामायण को पढ़ेंगे - वाल्मीकि हो या मानस या फिर अभ्युदय भी - आप को कई सारे ऐसे संदर्भ मिलेंगे जो आप के स्वाभाविक भारतीयता से जुड़े हैं, हमारे अपने ही संस्कार हैं और इनकी उठाई समस्याओं का प्रभावी काट भी । महाभारत भी अवश्य पढ़ें।

भारतीय समाजवाद के अध्वर्यू माने जाते हैं डॉ लोहिया। कभी पढ़िये, भारतीयता से अलग विचार नहीं है । क्या उन्हें मार्क्सवाद का इल्म नहीं था। क्या उन्हें पूंजीवादी कहेंगे मार्क्सवादी ? लोहिया जी की राम, कृष्ण और शिव पढ़िये, देखिये किस धरातल पर दृढ़ खड़े थे वे । बाकी लोहियावाद को लहूलुहान किया उनके दोनों चेलों ने वो बात अलग ।

मंथरा, शकुनि, नारद इनके बारे में पढ़ेंगे तो पता चलेगा - आप के सर्कल में gone cases कितने हैं और salvageable कितने। सड़े आमों से खुद को दूर कीजिये । आप खुद ही पाएंगे कि आप इनको अच्छा प्रत्युत्तर दे पाते हैं, लोग आप की सुनने लगेंगे । जहां वे कोई सोल्युशन न देकर केवल समस्या के लिए किसी को दोष ही देना चाहते हैं वहाँ इनसे सोल्युशन मांगिए । कहिए, समस्या तो हमें भी समझ में आ रही है, सोल्युशन मेरे समझ में नहीं आया इसलिए कुछ कहा नहीं । आप के पास इसका कोई ठोस सोल्युशन है तो बताओ मैं आपका साथ दूँगा ! लेकिन लगता है आप केवल सब को भड़काने में ही इंटेरेस्टेड हैं...... क्या चाहते हैं आप ? सवाल कोई भी कर सकता है, जो जवाब दे वही काम का आदमी होता है, बरोबर ? आप के पास जवाब है आप के उठाए प्रश्न का ?

इसपर उसके निकल जाने की संभावना है । उसे नारद, शकुनि या मंथरा या तत्सम कोई नाम देकर उस व्यक्तिरेखा से जुड़े स्वभावविशेष से पुकारना न भूलें । दुबारा ये किसी के पास फिर से ऐसी ही बातें करता मिले तो चैलेंज करें, पिछले संवाद का स्मरण दें और वो तीसरे व्यक्ति को पूछें, क्या ये कोई सुझाव भी दे रहे थे या बस आप को भड़का रहा थे ? जल्द ही इनका टिकना मुश्किल हो जाएगा। आप को आता देख ये किसी से संवाद अधूरा छोड़कर भागेंगे तो स्वाभाविक है कि वो व्यक्ति आप से पूछे ऐसा क्या है । संयम बरतें, बुराई न करें, संवाद का विषय पूछें, और इतना ही पूछे कि कोई सोल्युशन भी बता रहे थे या सिर्फ सवाल का पलीता लगा रहे थे ? मैं इतना ही चाहता हूँ कि आदमी सवाल उठाए तो कोई सोल्युशन भी दे जो हमारे बस का हो, तो सब के काम आए, क्या नहीं ? बिना सोल्युशन के बस भड़काना केवल सब को डिस्टर्ब कर देता है, क्या नहीं ?

अगली बार शकुनि जी उनसे मिलें तो बैठक ज्यादा नहीं चल पाएगी। स्वागत ठंडा होगा।

अगर आप पॉलिटिक्स में हैं तो सावधानी बरतिएगा। खुद को सुरक्षित रखिए । बाकी ये सोल्युशन ही है एक तरह का और कारगर ही है ।

शुभम भवतु । जय हिन्द ! शेयर या कॉपी पेस्ट कीजिये, अन्यों को भी लाभ होगा।

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