हिन्दी English


28. "जन्म जात गद्दार ,पुनः सक्रिय अब्दुल्ला "
................................................................
"कश्मीर की आजादी के लिए हुर्रियत के साथ हूँ । "
और,
"कश्मीर का भारत में 'विलय' मेरे वालिद ने नहीं 'राजा हरी
सिंह 'ने किया ।"
...................'फ़ारुख़ अब्दुल्ला '
..........पूर्व केन्द्रीय मन्त्री भारत सरकार
..........पूर्व मुख्यमंत्री जम्मू कश्मीर
फ़ारुख़ अब्दुल्ला ने यह दोनों वक्तव्य कश्मीर की एक जनसभा में पिछले सप्ताह में दिए । फ़ारुख़ अब्दुल्ला भी देश के 'बुद्धिभक्षियों ' की परिभाषा के अनुरूप 'सेकुलर शिरोमणियो'ं में से एक हैं । इसके पूर्व इन' सेकुलर बुद्धिभक्षियों 'का निरन्तर प्रचार
यह रहा कि जम्मू कश्मीर का भारत में विलय इन हज़रत के वालिद (पिता ) शेख अब्दुल्ला के प्रयासों से सम्भव हो पाया था । जबकि असलियत फ़ारुख़ ने वयान कर दी है । इसके पहले
एक दूसरे सेकुलर शिरोमणि 'दिग्गी राजा 'ने अपनी हाई कमान की प्रेरणा और सहमति से वयान दिया था कि कश्मीर अब 'मुस्लिम बहुल 'हो चुका है अतः उसे इस्लामी राष्ट्र् पाकिस्तान को
दे देना चाहिये । इसी अवधि में इस्लामी आतंकवादियों के समर्पित पैरोकार तीसरे सेकुलर शिरोमणि ने पाकिस्तान की मांग
का समर्थन करते हुये कश्मीर में 'जनमत संग्रह ' की मांग की ।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि यह हजरत एक बार बहुत पहले संयुक्तराष्ट्र संघ में पाकिस्तानी प्रतिनिधि मण्डल के अंग बन कर जनमत संग्रह की मांग कर चुके हैं ,किन्तु जब बात बनती नहीं दिखाई दी तो सेकुलरचोले में कश्मीर की राजनीति में सक्रिय हो
गये और अपने पूरे परिवार सहित पैसा ,पद ,प्रतिष्ठा की मलाई
खाते रहे । इस बार पिछले चुनावों से यह अपने परिवार सहित सभी पदों से वंचित हैं ।इधर नोटबंदी से इनके ''जाली और काली
कमाई ''के भी सारे स्रोत सूख गये हैं ।अतः इनका धैर्य टूट गया है और यह अपना सेकुलर चोला फेंक कर अपने असली रूप में एक गद्दार की भूमिका में पुनः सक्रिय हो गये हैं ।धारा370 के समर्थक सभी सेकुलर दलों गिरोहों का एकजुट समर्थन भी मिल रहा है । अतएव कुछ ज्यादा ही बौराये हुये हैं ।इसी पृष्ठभूमि में
इस पोस्ट को प्रस्तुत किया गया है ....
बोले फ़ारुख़ हिन्द का ,नहीं रहा कश्मीर ।
सेकुलर चोले में दिखी ,है असली तसवीर ।।
है असली तसवीर ,'हुर्रियत' संग दीखती ।
सेकुलर मौन ब्रिगेड ,नहीं अब दिखे चीखती।।
काश्मीर की शान्ति ,भंग के 'पत्ते खोले '।
आजादी तक जंग ,चलेगी फ़ारुख़ बोले ।।

" यह अब्दुल्ला इधर कुछ ,दीखे अधिक अधीर।
जन मन में बिष घोलता ,इसका मरा ज़मीर ।।
इसका मरा ज़मीर , 'सांप का बच्चा' है यह ।
डसे देश को ,मित्र 'पाक ' का सच्चा है यह ।।
देख न पाया शान्त ,राज्य में ' हल्ला गुल्ला'।
जन्म जात गद्दार , पुनः सक्रिय अब्दुल्ला।।"
विशेष .....
"हिन्द का नहीं रहा कश्मीर "...इन वक्तव्यों के पहले यह
भी घोषित कर चुके हैं कि कश्मीर भारत का कभी भी
अभिन्न अंग नहीं रहा है ।
" हुर्रियत" ...'हुर्रियत कांफ्रेंस ' कश्मीर के कई अलगाव वादी
अराजक जमातों और गिरोहों का संयुक्त मोर्चा है ,जो
पिछले कई दशकों से कश्मीर को भारत से अलग करने
का पाकिस्तान के सहयोग से आन्दोलन चलाये हुये है ।
" पत्ते खोल"े कश्मीर घाटी में इतनी लम्बी अवधि से क्यों
अराजकता व्याप्त है वहाँ शांति भंग की समस्या क्यों
स्थाई रूप ले चुकी है ।इसका रहस्य भी खुल गया कि
उसके पीछे वहाँ सत्ता पर प्रायः काबिज़ रहा 'अब्दुल्ला
परिवार 'की इस्लामी आतंकवादियों से शासन स्तर पर
प्रशासनिक साँठगाँठ भी रही है और इसी साँठगाँठ की
की ताकत के बल पर यह परिवार केंद्र की प्रत्येक सरकार
को ब्लैक मेल करता रहा है । मोदी जी के सत्ता में आने
के वाद से इनकी 'ब्लैक मेलिंग की ताक़त 'ख़त्म हो गई है।
" सांप का बच्चा "... इसके बाप शेख अब्दुल्ला नेहरू जी के
समय में ही कश्मीर को भारत से अलग करने की साजिश
कर चुके हैं और मजबूरन नेहरू जी को उन्हें राजद्रोह के
अभियोग में गिरफ्तार करके जेल में डालना पड़ा । किन्तु
राजनीति के वशीभूत एक समझौते के तहत उन्हें कश्मीर
सत्ता शेख अब्दुल्ला को सौंपनी पड़ी । उसके वाद इस
परिवार के द्वारा पुनर्वास विधेयक बना कर उसके तहत
पाकिस्तानी मुस्लिमों में को लाकर कश्मीर में निरन्तरबसाया
जाता रहा और गैर मुस्लिमों को क्रूरता पूर्वक उजाड़ा
जाता रहा और कांग्रेस सहित सभी सेकुलर दलों का
सक्रिय समर्थन मिलता रहा ।दुष्परिणाम आज सामने है।
"हल्ला गुल्ला "... अलगाव वादी पत्थरबाजी ,बन्द आदि
अराजक उपद्रव ।


29. " विचित्र किन्तु सत्य .. 07% विजेता ,18% पराजित "
...........................................................................
"सेकुलर खेमे में अपने ही पी एम की अनुचित हार से जश्न "
...................................................................................

"भारतीय प्रधानमंत्री देश की अर्थव्यवस्था को ऐसी स्थिति में
ले गए हैं ,जो उभरते बाज़ार के तौर पर 'दुनिया की सबसे सकारात्मक कहानी' है ।"
" टाइम पर्सन ऑफ़ द ईयर ' ट्रम्प को घोषित करते समय
टाइम मैगजीन की टिप्पणी "
ऑडियान्स वोट का परिणाम ....
मोदी ..18 % कहीँ नहीं
ट्रम्प ..07 % विजेता
हिलैरी...04% उपविजेता
वैश्विक स्तर पर मोदी जी को टाइम के घोषित परिणाम के अनुसार ट्रम्प से लगभग 260% और हिलैरी से 450% मत
अधिक प्राप्त हुये ।उनकी उपलब्धियों को भी सराहा ,व्यक्तित्व पर कोई नकारात्मक टिप्पणी भी नहीं ,किन्तु अन्तिम परिणाम
सर्वथा तर्कातीत और अकल्पनीय । तथापि भारत के सेकुलर गिरोहों में अपने ही प्रधानमंत्री की आभासी पराजय पर जश्न का माहौल । है न विचित्र ,किन्तु सत्य ।
आज की पोस्ट इसी पृष्ठभूमि में प्रस्तुत है ....


" पर्सन ऑफ़ द ईयर 'हैं ,बने 'ट्रम्प डोनाल्ड ' ।
चहक उठे मरते हुये ,सब सेकुलर 'सो कॉल्ड '।।
सब सेकुलर 'सो कॉल्ड' ,'मुदित' कुछ अधिक दिखे हैं।
जीत चुके की हार , धूर्त्त सब उचित लिखे हैं।।
'टाइम 'की क्या रही , कसौटी क्या है दर्शन ?
बहुमत मोदी संग , ट्रम्प ' ईयर के पर्सन '??"

"कहते मोदी को मिले , हैं सर्वाधिक वोट।
'टाइम' को उनमें दिखी ,नहीँ कहीं कुछ खोंट ।।
नहीं कहीँ कुछ खोंट , प्रशंसक अपितु रहे हैं ।
अर्थव्यवस्था ऊर्ध्व ,गमन की ओर कहे हैं।।
तब उलटे परिणाम, हेतु मानक क्या रहते ?
अनुत्तरित है प्रश्न , अतः ' छलना ' हम कहते??"

"अठरह प्रतिशत' वोट को ,कहें सात से न्यून !
मोदी-निन्दक एकजुट , उत्साहित हैं दून।।
उत्साहित हैं दून , पिटे अब तक बेचारे ।
खुश दिखते हैं चलो , कहीँ तो मोदी हारे ।।
लगा 'मोदियाघात ', अभी तक गई न दहशत ।
उचित विजेता सात , हारता अठरह प्रतिशत ??
विशेष .....
'सो कॉल्ड ' ( so callled )...तथाकथित ।
'सेकुलर' ....जिन्हें भारत , भारतीयता और मोदी जी से
विशेष चिढ़ ।
'मुदित '... प्रसन्न ।
' टाइम' ..अमरीका की प्रसिद्ध ' टाइम मैगजीन' ,जो अपने
संयोजन में प्रत्येक वर्ष वैश्विक स्तर पर वर्ष के
सर्वाधिक चर्चित / लोकप्रिय व्यक्ति को 'ऑडियान्स
पोल' कराकर 'टाइम पर्सन ऑफ़ द ईयर ' की
घोषणा करती है।
'छलना' ....धोखाधड़ी ,सर्वाधिक मत मोदी को प्राप्त ,विजेता
और उपविजेता ,ट्रम्प और हिलैरी ,जो मतदान में
मोदी से प्रतिस्पर्धा तक में नहीं , ऐसा लगता है कि
अमरीका यह चुनाव अमरीका के राष्ट्रपति का रहा।
ऐसा अहसास हुआ कि अभी भी अंग्रेजों को किसी
भी क्षेत्र में कोई भारतीय प्रतिष्ठित होते स्वीकार नहीं
'मोदियाघात' ...यह ऐसा विचित्र राजनितिक रोग है ,जो भारतीय
राजनीति में मोदी जी के उदय के साथ पैदा हुआ है
इस महामारी से सेकुलर जमातें अत्यधिक पीड़ित
रही हैं ,बहुतों का तो इस असाध्य व्याधि से अस्तित्व
ख़तरे में पड़ गया है ।यह व्याधि पूरे तौर से असाध्य
बन चुकी है ,आजकल इसने 'नोटबंदी ' का प्राणघातक
रूप लिया हुआ है ।


30. "सेकुलर दलों और गिरोहों को संबोधित 'काला दिवस' के लिये "
.......................................................................................
भारत भक्त जनता को समर्पित
............................................

दिनान्क 08.12.2016 को "नोट बन्दी" के विरोधियों ने काला धन के परोक्ष समर्थन में " काला दिवस " का ऐतिहासिक आयोजन किया ।संभवतः यह विश्व के राजनितिक इतिहास में अपने ढंग का 'अनूठा विरोध प्रदर्शन' रहा । काले धन के उन्मूलन में रात दिन प्राण पण से लगे प्रधानमंत्री को समस्त दलों के अपेक्षितएकजुट समर्थन के स्थान पर 'अनपेक्षित एकजुट विरोध ''यही इस आयोजन का अनूठापन ''है ।
इसी उद्विग्नता की मनोदशा में यह पोस्ट प्रस्तुत है ..

" काले 'कौवे' देश के , हुये सभी हैं एक ।
'भोज्य 'न छोड़ेंगे कभी ,यह सबकी है टेक ।।
यह सबकी है टेक , एकजुट 'गिद्ध 'किये हैं ।
'चीलें ' जो भी रहीँ ,उन्हें भी साथ लिये हैं ।।
काले मन सब मिले , एक निर्णय कर डाले।
'भोज्य न वापस मिला ,करेंगे दिन सब काले '!!
विशेष ...
भोज्य ...?
कौवे ....?
गिद्ध ...?
चीलें ...?



***अन्य भागों को पढ़ने के लिये नीचे दिये गये लिंक्स पर टच या क्लिक करें -
भाग-1
भाग-2
भाग-3
भाग-4
भाग-5
भाग-6
भाग-7
भाग-8
भाग-9
भाग-11
भाग-12
भाग-13
भाग-14
भाग-15
भाग-16
भाग-17

Comments

Sort by

© C2016 - 2024 All Rights Reserved