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बढ़कर गान्धी से अधिक, घातक गांधीवाद

समस्त गांधीवादियों को संबोधित और देश भक्त जनता को समर्पित .....

" बढ़कर गान्धी से अधिक , घातक गांधीवाद ।
देशभक्त जन ख़त्म कर , शत्रु किये आबाद ।।
शत्रु किये आबाद , दान कश्मीर किये हैं।
तिव्वत नेफा क्षेत्र , चीन को भेँट दिये हैं ।।
गांधीवादी सभी , रहे मुल्लों के 'अनुचर '।
जर जोरू सब दिये, उन्हें वे आगे बढ़कर ।।"

"सुविधा - भोगी लालची , निजी काम से काम ।
गांधीवादी भक्त सब , 'मनसा ' बड़े गुलाम ।।
मनसा बड़े गुलाम , किन्तु निर्लज्ज तने हैं ।
हिंसा से भयभीत , 'अहिंसा-मूर्ति ' बने हैं ।।
ढोंगी ये 'कापुरुष ', न इसमें कोई दुविधा ।
देते सब कुछ बेंच , मिले पैसा पद-सुविधा ।।"

" कायरता की मूर्ति को , करते आये याद ।
इसीलिये टुकड़े हुये , देश हुआ बरबाद ।।
देश हुआ बरबाद , 'पराजित प्रतिमा' पूजी ।
दास वृत्ति की कहीं, मिसाल न मिलती दूजी।।
राष्ट् धर्म समुदाय , सत्य वह निश्चित मरता।
शौर्य शहादत भूल, जोकि पूजे कायरता ।"


विशेष .....

अनुचर ... दास ,कुत्तों की तरह पूंछ हिलाने वाले गुलाम।

जर जोरू .... धन सम्पत्ति ,स्त्री ।

मनसा ........मन से ।

तने हैं .... व्यर्थ में अकड़े हुये हैं ।

अहिंसामूर्ति .. ?

कापुरुष ....नपुंषक ।

पराजित प्रतिमा ...पराजय की साकार आकृति ,जीवन में जो व्यक्ति अपने संकल्प के अनरूप हर लड़ाई में पराजित हुआ ।

दास वृत्ति ... गुलामी जिसके रक्त में प्रवेश कर गई हो। दासता जिसका स्वभाव बन गया है ।

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