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मजहब यही सिखाता । काफिर से बैर रखना ।

यह पोस्ट सेक्युलरों के लिए है । आप से अनुरोध है कि इसे अधिकाधिक शेयर कर के उन्हें दिखाएँ । उनसे कहें कि अपने भाईचारेवाले भायजानों से इसका स्पष्टीकरण पूछ ले, पूछने का दम हो तो ।

जी हाँ, आप ने उनका कुछ न बिगाड़ा हो फिर भी वे आप के मंदिर क्यूँ तोड़ते हैं, आप को तकलीफ हो ऐसे काम क्यूँ करते हैं उसका ये सबूत है – ह मुहम्मद ही ऐसा करने को कह गए हैं । कुरआन के सूरह 9 आयत 120 में साफ साफ कहा है । लीजिये, सात अलग अलग अनुवादों से स्क्रीनशॉट दे रहा हूँ । कौनसा किसका स्क्रीनशॉट है यह वे जानते हैं, आप बस उन्हें यह दिखाने की हिम्मत दिखाएँ । लाल रंग से अधोरेखित वाक्य में साफ कहा गया है और हर अनुवाद में कोई मतभिन्नता भी नहीं है ।

जो मुसलमान हमें हेटर (Hater) कहते हैं उन्हें यह सीधा सवाल है या कहिए जवाब है कि देखिये असली हेटर कौन है । कब तक झूठ बोलते रहोगे, कब तक झूठे इल्जाम लगाते रहोगे ? हाँ, पूछिए ‘मेरा मुहम्मद ऐसा नहीं है” की गुहार लगानेवाले फेसबुकिया सूफी से भी ?

मजे की बात है, सूरह 17:81 में कहा भी गया है – “और कह दें, हक़ (सत्य) आया और बातिल नाबूद हो गया (असत्य मिट गया), बेशक बातिल है ही मिटनेवाला ।“ अब यह सुनने की इस्लाम की बारी है । लाजिम है कि हम भी देखेंगे ........ हम देखेंगे !







कुछ कहना नहीं है तो शेयर जरूर कीजिएगा । बेशक बातिल है ही मिटनेवाला । लाजिम है कि हम भी देखेंगे .....

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