हिन्दी English


आज कुछ अपनी पसंद का......
.
इस तस्वीर में जो हैं मेरा दावा है कि अधिकतर लोग शायद सूरत से ना पहचाने.....ये भारतीय फिल्मों की सर्वकालीन महान गायिकाओं में से भी शिखर की इक्का दुक्का में से एक हैं....कहते हैं कि लता जैसी कोई नहीं...अगर मैं कहूं कि इनकी टक्कर की केवल लता जी ही हुई तो आप मानेंगे ???
.
ये हैं आदरणीय सुमन कल्याणपुर जी......संभवतः भारत की सबसे दुर्भाग्यशाली कलाकार जिन्हें अपनी प्रतिभा के हिसाब से यथोचित स्थान नहीं मिल पाया......गलती केवल समय और ईश्वर की रही.....गलत समय पर पैदा हुई और ईश्वर ने इनका गला उसी सांचे से बनाया जिससे लताजी का बनाया.....आवाज़,प्रतिभा और संगीत के ज्ञान में दोनों को मैं एक समान मानता हूँ.....हाँ लता जी से एक मामले में सुमन जी इक्कीस रही कि उनका उर्दू उच्चारण लताजी से कहीं बेहतर था....
.
1950-60 के दशक में जब लताजी अपने चरम पर थीं,किसी नए गायक को तो छोड़ो पुराने स्थापित एवं ऐसी गायिकाओं को भी काम मिलना बंद हो गया था जिन्हें सुनकर लताजी ने गाना सीखा....आशाजी भी ओ पी नय्यर साहब के सहारे अपनी नैय्या खेती रही.....लताजी अपने आप में बेहतरीन कलाकार होने के साथ साथ जबरदस्त सिंडिकेट-मैनेजमेंट की ज्ञाता भी थी.....पूर्व के संघर्ष से सबक लेते हुए उन्होंने स्थापित होते ही ऐसा सिंडिकेट खड़ा किया कि उस जमाने में किसी की मजाल नहीं थी जो उनका विरोध कर सके चाहे वो गायक हों,संगीतकार हों या फिर फिल्म के प्रोडूसर/डायरेक्टर....और इसके लिए मैं कहीं भी लताजी को गलत नहीं मानता....ऐसे दौर में भी सुमनजी ने ना सिर्फ अपनी पहचान बनाई बल्कि उस दौर के लगभग हर महान संगीतकार और गायक के साथ गाने गाये.....सबसे बड़ी समस्या ये रहती थी कि कोई भी लताजी के खिलाफ जा सुमनजी से गाने नहीं गवाता था...ऐसे में जब-जब लताजी ने किसी संगीतकार या गायक का बहिष्कार किया तभी सुमनजी को गाने का मौका मिला.....या फिर तब जब कोई लताजी को उस ज़माने में प्रति गाने के उनकी फीस “100 रुपये” देने में असमर्थता जताए...ऐसे मौकों पर सुमनजी को मौक़ा मिला और उन्होंने अपनी प्रतिभा का भरपूर प्रदर्शन किया भी...हिंदी के अलावा सुमन जी ने भारत की 12 भाषाओँ में भी बेशुमार गीत गाये.....
.
सुमन जी ने हिंदी फिल्मों में कुल करीब साढ़े आठ सौ गाने गाये......लेकिन इसमें रोचक बात ये है कि उनके गाये करीब 90% गाने आज भी हम आप लताजी का गाना समझकर सुनते हैं....हम आप तो छोडिये ऑल इंडिया रेडियो और HMV जैसी दिग्गज ग्रामोफोन कंपनी तक ने सुमनजी के कई गाने लताजी के नाम से प्रेषित कर दिए थे....आज कोई गलती करे तो समझ में आता है किन्तु उस दौर में जब लताजी शिखर पर थी,ऐसी गलतियां होना सिद्ध करता है कि दोनों में कितनी साम्यता रही होगी.....मैं अपने आपको पुराने गानों का कीड़ा समझता था लेकिन जब मैंने सुमनजी को सुना तो कानों पर विश्वास नहीं हुआ कि ये लताजी नहीं हैं.....ऐसे ऐसे गाने जिन्हें हम बचपन से लताजी का समझकर गुनगुनाते रहे वो सारे सुमन जी के निकले....कुछ उदाहरण देखिये...बुझा दिए हैं खुद अपने हाथों.......मेरे महबूब ना जा आज की रात ना जा....ना तुम हमें जानो ना हम तुम्हें जाने....यूं ही दिल ने चाहा था रोना रुलाना.....अजहूँ ना आये बालमा सावन बीता जाए....मेरा प्यार भी तू है ये बहार भी तू है...आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर जुबान पर.....ठहरिये होश में आ लूं तो चले जाइएगा.....ना ना करते प्यार तुम्ही से कर बैठे ((ये गाना 15 साल तक रेडिओ में लताजी के नाम से प्रसारित होता रहा...अमेजिंग ना ??))...तुमने पुकारा और हम चले आये...दिल ने फिर याद किया......और सबसे ख़ास जो हम बचपन से हर रक्षा बंधन में सुनते आये हैं.....रेडियो भी कहता है कि आज के सुअवसर पर सुनिए लता जी का ये गीत...बहना ने भाई की कलाई में प्यार बांधा है.....यकीन नहीं होता ना.......ऐसे सैकड़ों गाने हैं जिनमें कोई भी गच्चा खा जाए.....
.
एक रोचक किस्सा है....1964 में फ़रियाद फिल्म के लिए सुमनजी ने एक ग़ज़ल गई थी...””हाल-ए-दिल उनको सुनाना था..सुनाया ना गया””...संगीतकार थे स्नेहल भटकर...कहते हैं कि इस ग़ज़ल को सुन लताजी अवसाद की स्थिति में पहुँच चुकी थी कि कोई उनसे बेहतर कैसे गा सकता है....फाइटर तो वो थी ही....आनन् फानन में ग़ज़ल किंग मदनमोहनजी और महान गज़लकार राजेन्द्र कृष्ण जी के साथ टीम अप किया गया कि कुछ भी हो ऐसी ही,इससे मिलती जुलती एक ग़ज़ल बनाओ जिसे गाकर लताजी सुमनजी पर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर सकें.......ग़ज़ल बनी “”हाल-ए-दिल यूं उन्हें सुनाया गया””.......दोनों गज़लें रिलीज हुई और सुमन जी की ग़ज़ल लोगों ज्यादा पसंद आई......ऐसा लताजी के जीवन शायद कभी नहीं हुआ था......वो प्रतिभा थी सुमन जी....
.
अगर सुमनजी लताजी से पहले इंडस्ट्री में आ जाती तो सभवतः आज ये सब लताजी के लिए लिखा जा रहा होता.....और अगर सुमनजी लाता जी से 40-50 साल बाद पैदा होती तो कम से कम 100 साल तक भारत को आये दिन लताजी की आवाज वाले नए नए गाने सुनने को मिलते......ये इस देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ कैसे-कैसे टट्टपूंजियों को पद्म अवार्ड मिल जाते हैं लेकिन आजतक किसी सरकार ने सुमन जी किसी बड़े सम्मान के लायक नहीं समझा....खैर हमारी नज़र में सुमनजी की प्रतिभा के आगे ये सभी अवार्ड गौण हैं.....
.
1937 में आज ही के दिन (28 जनवरी) इस महान हस्ती का जन्म ढाका (तब हिन्दुस्तान में) में हुआ था.....ऐसी महान प्रतिभा को उनके जन्मदिन पर अनेक अनेक शुभकामनाएं.....

Comments

Sort by

© C2016 - 2024 All Rights Reserved