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राजनीति परिवर्तन का माध्यम है और ऐसा वो सत्ता प्राप्त करके ही कर सकती है ।इसलिए चुनाव में जीतना दलों की पहली और प्रतिबद्ध आवश्यकता है ।
क्षेत्रीय दलों के उभार को भारत में भिन्न भिन्न ढंग से विश्लेषित किया जाता है और इसे एक राजनीतिक बेहतरी के रूप में देखने की कोशिश की जाती है ।
अब क्षेत्रीय दलों को भी सत्ता चाहिए तभी तो वो अपना मनचाहा परिवर्तन ला सकेंगे इसलिए उन्हें एक चुनाव जिताऊ समीकरण तो चाहिए ही ।
इस संदर्भ के साथ इस तथ्य की तलाश की जानी चाहिए की आखिर क्षेत्रीय दलों का कार्यक्रम क्या है?
उनका उद्देश्य क्या है?
अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के उनकी नीति क्या है?

क्षेत्रीय दलों के पास एक समीकरण है मुश्लिम जहाँ भी क्षेत्रीय दल सत्ता में है वहां उन्हें मुश्लिम मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है ।

अब सवाल है कि मुस्लिम किस परिवर्तन की चाह में मतदान करता है?
यदि वो भ्रस्टाचार के खिलाफ होता तो लालू प्रसाद जैसे सजायाफ्ता को तो नही ही चुनता,यदि उसे दलित प्रेम होता तो कल ही बिहार में हुए दलित बालिका के बलात्कार के प्रति उसका गुस्सा दिखता ,
यदि वो समानता के लिए मतदान करता तो तीन तलाक और हलाला जैसे मुद्दों पर मुखर होता ,
यदि उसे लोकतंत्र का सम्मान आता और लोकतंत्र को भारत की सबसे अनमोल धरोहर मानता तो वो कश्मीर में वो नही करता जो वो 20 सालो से कर रहा है ,वो पश्चिम बंगाल में वो नही कर रहा होता हो वो पिछले 35 सालों में कर गुजर गया ।

उसे राष्ट्रगान से दिक्कत है,उसे हिंदी भाषा से दिक्कत है,उसे दलित,सवर्ण ,पिछड़े उन सबसे नफरत है जो राजनीतिक तौर पर उसके गजवा ए हिन्द की ओर बढ़ते कदम में बाधक है ।
उनकी मूढ़ताएं और हिन्दू घृणा बहुत स्पस्ट है अब इसके साथ आप किसी एक या दो जाति का समीकरण तलाश कर एक राज्य में सरकार बना कर कौन सा सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक बदलाव ला रहे है?
उसका आपका तरीका क्या है?

आपकी इस राजनीति और सत्ता लोलुपता का जब हम विरोध करते है तो आप हम पर तमाम तरह के अमूर्त आरोप लगाते है और अपने ही समाज के अपने ही जैसे व्यक्ति के प्रति वैमनष्य का प्रसार करते है उसे पहचान देते है और उसे एक तथ्य में बदल देते है ।

आपका मुश्लिम समीकरण आपके विरोध का सबसे महत्वपूर्ण और आधारभूत कारन है ।।

दूसरा ये की आप ने जहाँ भी सरकार बनायीं वहां व्यवस्था की पारदर्शिता,जवाबदेही,संवेदनशीलता और समरसता के कैसे मानक बनाये?

लूट,घृणा,कुव्यवस्था,तो आपने इस स्तर की पहुँचा दी है कि लोगो का दम घुटने लगा है ।

शिक्षा,स्वास्थ,सुरक्षा,पुलिस और न्याय,इसमें क्या उपलब्धियां है आपकी?

रोजगार,उद्यमशीलता और श्रम के सम्मान के लिए आपके प्रयास क्या है?

यदि गरीब,कमजोर और उपेक्षित के लिए ही काम करना आपके उद्देश्य है तो आप जरा बताइये की इनके स्वास्थ, सुरक्षा और गुणात्मक जीवन उन्नति के लिए आपने किया ही क्या है??

केंद्रीय सरकारों की योजनाओं के वित्त के भ्रष्टाचार से आप अपनी सत्ता की केवल चाभी बनाते आ रहे है वो भी हिन्दू समाज को तोड़ने ,कमजोर करने की हृदय विदारक शर्त के साथ वो भी उनके साथ मिलके जिनके लिए आधुनिकता,लोकतंत्र और समानता आदि बाते केवल झूठ है सच तो केवल अल्लाह है और उसकी मर्ज़ी ।

क्या आपका मुश्लिम तुष्टिकरण आपके विरोध का एक उचित कारण नही है?
वजह बहुत सारी है पर ,आपके विरुद्ध इतनी आपत्तियां है ,इतने आधार है कि उनकी फेहरिस्त बहुत लंबी होगी ।

ये अब अस्वीकार्य है ।
आपका विरोध होता रहेगा ।

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