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हिन्दुत्व के प्रति घृणा का इतिहास - 46

जो कंपनी राजाओं, नवाबों और दिल्लीश्वरों (जो अपने नाम से भी जगतीश्वर हुआ करते थे - शाहजहां, आलमगीर ) की नकेल अपने हाथ में लेती जा रही थी (ध्यान रहे कि दिल्ली का बादशाह कंपनी के वजीफे पर पल रहा था और उसने 1833 में राजा राममोहन राय को अपना प्रतिनिधि बना कर इंग्लैंड में अपना वजीफा बढ़वाने के लिए भेजा था); कम्पनी ने अपने अधिकारक्षेत्र से बाहर के राजाओं और नवाबों के साथ दूत संबंध के बहाने अपने प्रतिनिधि उनके दरबार में भेज रखे थे, जो अवसर के अनुसार उनको समझाते, धमकाते ओर उनके बलाबल की खुफियागीरी भी करते थे। उनके सुझावों को न मानने वाले दरबारों को निशाना बनाया जाता था.

कंपनी इतनी उद्दंड थी कि वह भारत के कल-कारखाने बन्द करके अपना कारोबार आगे बढ़ाना चाहती थी। भारत के अपने अधिकृत क्षेत्र को उसने कंपनी का स्टाक मान लिया था और उससे अधिक से अधिक उगाहना उसकी सफलता का लक्ष्य बन गया था। जो ज्यादा पहुंचाएगा वह ऊंचा उठता जाएगा के सिद्धान्त से जो अपनी जमीदारी कामय रखने के लिए दूसरों से अधिक बोली बोली बोलता था उसे राजस्व वसूलने का अधिकार मिल जाता था और इसलिए वह किसानों से इतनी निर्ममता से दोहन करता था कि किसान बेहाल थे।

अंग्रेजों को, या उसकी नीति निर्धारण के लिएं प्रभावी भूमिका निभाने वालों में सबसे ऊंचा स्थाने उनका था जो यह मान बैठे कि प्रतियोगिता में हम हार गए, अब प्रतिबन्ध लगा कर हमें अपने उत्पादों का बाजार तैया करना है और वहां भी हारने के बाद उन्होंने उन्हें बन्द ही कर दिया।

परन्तु प्रश्न यह है कि जो कंपनी मनमाना आचरण कर रही थी उसे हम किसी से भी डरा हुआ समझ लें तो यह दिमाग की सादगी को ही प्रकट करेगा। और फिर भी यह एक सचाई थी जिसे एक प्रबल आशंका कहना अधिक ठीक होगा । '

अंग्रेजों से पहले जिन यूरोपीय ताकतों ने भारत के किसी भूभाग पर कब्जा उनका किन्हीं कारणों से अन्त हो गया या वे एक सीमा में सिमट कर रह गए। यदि उनका अंत हो गया तो पता किया जाना चाहिए कि अन्त हुआ क्यों और अपने को चिरकालिक बनाए रखने के लिए किन सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए। ग्रांट के शब्दों में 'पुर्तगालियों ने चामत्कारिक ढंग से भारत विजय की थी, पर वे अत्याचारी थे और इस अत्याचार ने उनका बेड़ा गर्क कर दिया। फ्रांसीसी तो जैसे आसमान के उल्का की तरह आ गिरे थे, उनका जो हस्र हुआ, होना ही था, डचों ने अधिक लालच से काम लिया और अंग्रेज । मौत का एक दिन मुकर्रर है के अटल सिद्धान्त और उसे यथासंभव टालने का ही नाम ब्रिटिश कूटनीति है ।
We are the fourth of those who have possessed an Indian Empire. That of Portuguese, though acquired by romantic bravery, was unsystematic and rapacious; the short one of the French was the meteor of a vain ambition; the Dutch acted upon the principle of a selfish commercial policy; and these apparently as they flourished for a time, have been cause of their decline and fall.

इसलिए यह तय था की जाना र्क्स पड़ेगा ही, दिन काटने के तरीके अपनाने या उनका आविष्कार करने की समस्या थी।

दूसरों के अनुभवों से जो कुछ सीखा जा सकता था वह क्या कंपनी ने सीखा। चाल्र्स ग्रांट एक जटिल चरित्र है। एक ओर ब्रितानी हितों की रक्षा, दूसरी ओर ईसाइयत का विस्तार, उनकी अपनी समझ से ईसाइयत मानवतावाद का नमूना है, इसलिए वह सोचता था कि हिन्दुओं को ईसाई बना कर कंपनी के हितो की रक्षा ही नहीं मानवीय कर्तव्य का निर्वाह भी किया जा सकता था। परन्तु भारतीयों को ईसाई बनाने का मतलब उन्हें अपने समकक्ष स्थान देना नहीं, अपितु उनको अधिक अच्छा सेवक बनाना थाः
Need we ask whether it would make them better servants and agents, make them more useful and valuable in all the relations of life? Would not such a person be a real accession to European masters; and must it not be supposed, that men professing Christianity, whose interests would be promoted by employing such converts, would not reject them, upon a principle which even Paganism could not justify, that is, because they had honestly followed their convictions?

आज हमारा डंका बज रहा है जो चाहें कर सकते हैं, और इसलिए हम इसमें अपना मजहब, अपनी मूल्यप्रणाली और नैतिक मानदंड आरोपित करके हिन्दुओं को अपने जैसा बना सकते है और इस तरह वे हमारे लिए अधिक उपयोगी रहेंगे।
the time present is ours, By planting our language, our knowledge, our opinions, our religion in our Asiatic territories, we shall put a great work beyond the reach of contingencies, we shall probably have wedded the inhabitants of those territories to this countries.

एक सम्भावना यह कि उन शक्तियों में से किसी की वापसी हो सकती है क्योंकि वे अधिक दुरावहीन ढंग से भारतीयों से मिलते जुलते हैं और स्थानीय षासकों के साथ मिल कर वे संकट खड़ा कर सकते हैं। यह न हमारे हित में होगा न भारतीयों के हित में क्योंकि हमारा सफाया करने के बाद वे स्वयं भारत पर अधिकार करना चाहेंगे और उनका षासन हमसे भी बुरा होगाः
It is to be feared that the number of lower Europeans will go on to increase in our territories; they mix most with the natives, and by them the worst part of our manners will be exhibited.
आशंका का एक कारण यह था कि लगान वसूली के लिए अंग्रेजों ने जो व्यवस्था की थी उसी के कारण जो कल तक किसी गिनती के नहीं थे वे मालामाल हो जायं, फिर दौलत तो अच्छे भलों का दिमाग बदल देती है, उससे उनमें विद्रोह की भावना भी आ सकती है, वे शिक्षा पा सकते हैं, यूरोपियनों के संपर्क में आ कर यूरोपीय मूल्यों और मानदंडों और अधिकार चेतना से भी संपन्न हो सकते हैं।
Secondly, - by the security which we have with great wisdom given to the land tenure of Bengal, the value of the property there …will naturally be enhanced, so that in the process of time, the owner of large states hither to little productive to them, may become of consequence by their wealth and possessions. We know also, that increasing prosperity tends to strengthen pride and disorderly propensities. Here again, therefore, we find motives for introduction of our principles; for if some of the higher and lower orders may be led by European manners, to adopt new ideas of relaxation, at the same time that new powers are put in the hands of the former… our religion and moral principles might obtain a fair establishment there...

यह स्थिति ब्रिटेन के हितो के लिए अवांछनीय तो है परन्तु इसका भी सही उपयोग किया जा सकता है। यदि उन्हें ईसाई बनाया जा सके तो वे स्वयं कंपनी की सत्ता के समर्थक हो जाएंगे। कहें चाल्र्स ग्रान्ट को भारत का उद्धार पाश्चात्य सत्ता का विश्वसनीय सेवक बनाने में दिखाई देता था जिसके लिए हम उसे दोष नहीं दे सकतेः
In success would lie our safety, not our danger. Our danger must lie in pursuing, from ungenerous ends, a course contracted and liberal; but in following an opposite course, in communicating light, knowledge, and improvement, we shall obey the dictates of duty, of philanthropy, and of policy; we shall take the most rational means to remove inherent great disorders, to attach the Hindoo people to ourselves, to ensure the safety of our possessions, to enhance continually their value to us.
सबसे बड़ी आशंका यह कि पश्चिमी रीतिनीति सीखने के बाद कहीं वे उसी तरह का विद्रोह न कर दें
The conduct of the British American colonies has raised, in some minds, confused surmisings and apprehensions of the possibility of similar proceedings on the part of our Indian provinces. These alarms are easily caught by such persons, … conceiving,… that the more entirely they continue with their present ignorance, superstition, and degradation, the more secure is our dominion over them.
यहां पर ग्रांट को यूरोप की नस्लों की श्रेष्ठता और भारत में जीवट की कमी तथा भारत की जलवायु के प्रभाव का भरोसा दिखाई देता है.
Indolence, pusillanimity, insensibility, as they procees not wholly from physical sources, would be at least partially corrected by moral improvement; but the influences of a tropical sun would still be oppressive. The slight structure of human body, with its ordinary concomitants, still forming the taste of vegetable diet, would ill second ardent designs, even if they were vigorous enough to conceive them. .. The nature of the country adds to the effect of the climate. It is unfavourable for long journeys; and the Hindoos, in general a remotely inland people, have a strong aversion to the sea; even the air of it is offensive to them….
Where then is the rational ground for apprehending, that such a race will ever become turbulent for English liberty? A spirit of libery is not to be caught from a written description of it, by distant and feeble Asiatics especially.
जो भी हो , यह ऐसे असमंजस की स्थिति थी जिसमें अमेरिकी क्रांति के बाद अपनी कठोरता के बाद भी जो सत्ता राजाओं को कुछ नहीं समझती थी वह जनता के संभावित विद्रोह से आशंकित थी.

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