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Enemy of Pseudo - Feminists... A nationalist girl
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बर्फ की सिल्लियों पर अपराधी को लिटाकर कोड़े फटकारते हुए पुरानी भारतीय फिल्मों में कई बार देखा है, वास्तव में ऐसा होता है या नहीं पता नहीं, मगर मठ्ठर अपराधियों ने कभी मुँह खोला हो याद नहीं पड़ता। इन दिनों ठंड ने जो कहर बरपाया है, अपराधियों को बर्फ पर लिटाने की जरूरत ही नहीं है। एक बाल्टी ठंडे पानी से खुले मैदान में नहाने की सजा दे दी जाए, अच्छे-अच्छे अपराधी अपराध कबूल लेंगे। पुलिस के लिए इससे बढ़िया थर्ड डिग्री ट्रीटमेंट दूसरा कोई हो ही नहीं सकता। ट्रायल में भी किसी अपराधी को फुसलाना हो तो दो कम्बल एक्स्ट्रा दिलवाने का लालच दे दिया जाए या डराना हो तो दिया हुआ कम्बल छुड़ा लेने की धमकी दी जाए, मामला सुलझ जाएगा।

इन दिनों आप घर के दरवाजे़ खुले रखकर बिंदास सो सकते हैं, घर में तिजोरी हो तो उसे भी खुली रख सकते हैं। कोई पेशेवर चोर ऐसी कड़ाके की ठंड में घर से बाहर निकलने से रहा। वह घर में रजाई में दुबक कर उष्मा सुख लेगा या हाड़-तोड़ सर्दी में ताले चटकाता फिरेगा। हाँलाकि चोर के लिए तो इन दिनों बड़ा फेवरेबल सीज़न है, रेल की पटरियाँ चटक रही हैं, तो खोजने पर ताले-कुंदे भी चटके हुए मिल सकते हैं। चोरी करने में आसानी हो सकती है। घर के अन्दर भी बड़ी सहूलियत से माल समेटा जा सकता है। पूरा परिवार रज़ाई में दुबका हुआ चोर को बस निहार भर सकता है, कौन रजाई के बाहर निकलकर उसे पकड़ने की ज़हमत उठाएगा। सर्दी के मारे कंठ से पकड़ों-पकड़ों का स्वर तक नहीं निकलने वाला। लेकिन फिर भी मेरा दावा है इतनी सुविधाओं और सहूलियतों के बावजूद चोर इस ठंड में बाहर निकलने की गलती कभी नहीं करेगा।

भ्रष्टाचार इन दिनों ठंड के बाद दूसरा बड़ा मुद्दा है जिसपर चारों ओर तूमार मचा हुआ है। कुछ दिनों पहले वह प्राथमिकता में पहला था। ठंड ने उसका स्थान ले लिया है। भ्रष्टाचार रोकने के लिए यह ठंड नोटबंदी के बाद सबसे ज्यादा कारगार है। भ्रष्टाचार का एकमात्र प्रकटीकरण है नोटों की गड्डियाँ। ऐसी ठंड में कौन नोट गिनेगा। ना देने वाला बिना गिने देना चाहेगा ना लेने वाला बिना गिने लेगा। कौन कोट की जेब से बाहर हाथ निकालकर अपना खून जमवाएगा। माना जा सकता है, कि इन दिनों लेन-देन में सुस्ती चल रही होगी और भ्रष्टाचार पर प्राकृतिक अंकुश लगा होगा। सरकार अगर चाहे तो भ्रष्टाचार के सभी अड्डों पर ‘प्रशीतक’ लगवाकर इससे बारहों महीने चौबीस घंटे मायनस टेम्प्रेचर मेंटन कर नोटों का लेन-देन रोका जा सकता है। भ्रष्टाचार पर अपने आप अंकुश लग जाएगा।

ठंड के मारे चारों ओर अमन चैन है, किसी को किसी से कोई शिकायत नहीं है। दिमाग की सारी खुराफाती ऊर्जा शरीर को ठंड से बचाने में खर्च हो रही है।

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