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"काजी मुल्ला इधर कुछ , अधिक व्यग्र हैरान।"
कुछ दिन पूर्व एक अत्यधिक महत्व पूर्ण ऐतिहासिक समाचार को सेकुलर इस्लामी मीडिया द्वारा दबाने का असफल प्रयास किया गया है कि लखनऊ विश्व विद्यालय की मुस्लिम छात्राओं ने सोशल मीडिया का उपयोग करते हुये एक संगठित समूह बना कर
शरीयत के अनुरूप" इकतरफा 3 तलाक ,हवाला ,मुताह जैसी क्रूर
अमानवीय " अधार्मिक मर्दवादी इस्लामी दुर्व्यवस्था के विरोध का
दृढ़ संकल्प लिया और मोदी की घोषणा ....
"तीन तलाक के मुद्दे पर मैं अपनी मुस्लिम बहिन बेटियों के साथ अन्याय नहीं होने दूँगा ।"
का खुलकर स्वागत किया और आगामी विधानसभा चुनाव
में मोदी का समर्थन करने का सामूहिक निर्णय लिया ।
मुस्लिम छात्राओं की इस घोषणा से कठमुल्ला काजी और छद्म मुस्लिमों अर्थात् सेकुलर दलों में भारी हड़कम्प मचा हुआ है ।उन्होंने सम्बंधित छात्राओं और उनके अभिभावकों को स्थानीय पोलिस प्रशासन के संरक्षण में विभिन्न स्तर पर धमकियाँ देना प्रारम्भ कर दिया है ।
आज की मेरी पोस्ट अपनी उन्ही वीरांगना मुस्लिम बेटियों को समर्पित है ....

" काजी मुल्ला इधर कुछ , अधिक व्यग्र हैरान ।
छात्राओं का सुप्त है , जाग उठा अभिमान ।।
जाग उठा अभिमान , कह रही हैं मर्दानी ।
सहन न उन्हें तलाक ,हवाला की हैवानी ।।
मोदी को वे वोट ,करेंगी सुनलें पाजी ।
'सेकुलर वेश्या वृत्ति 'ख़त्म ,सुन भड़के काजी ।।"

" सेकुलर मुस्लिम एकजुट ', व्यभिचारी' जो मर्द ।
युवा -नारि -विद्रोह से , हुये सभी ' बेपर्द '।।
हुये सभी बेपर्द , दुष्ट दल सेकुलर पाजी।
'नारीवादी ' मौन , बन्द उनकी ' लफ्फाजी ।।
' उपदेशक' जो बड़े , दिखें टी वी पर ' रेगुलर '।
इस मुद्दे पर मरे , 'अवाक्' दीखते सेकुलर ।।"

'नारी नर जो फ़ेसबुक , पर संवादी शूर ।
वे भी हैं निरपेक्ष सब , इस मुद्दे से दूर ।।
इस मुद्दे से दूर , डरे भीतर से टूटे ।
न्याय धर्म के बोल , न उनके मुख से फूटे ।।
रहा 'समर्पण वाद ' , इसी विधि यों ही जारी ।
बन जायेंगी 'भोज्य, वस्तु' सब बेबस नारी "

विशेष .......
" जाग उठा अभिमान "...सैकड़ों वर्षो से मर्दवादी मुस्लिमों
द्वारा मुस्लिम औरतों का अमानुषिक दमन और शोषण शरियत और अल्लाह के कानून के नाम से चल रहा है । पूर्व की सेकुलर सरकारें और नेता इस अमानवीय अत्याचार के लिए समान दोषी और इसमें बराबर के हिस्सेदार रहे हैं ।मोदी जी आश्वासन से मुस्लिम औरतोँ की ज्वाला भड़क उठी है ।अब उन्होंने नैसर्गिक न्याय के अनुरूप हिन्दू महिलाओं को प्राप्त क़ानूनी सुरक्षा की सीधे माँग प्रारम्भ कर दी है ।
"तीन तलाक "..इस्लामी शरियत के अनुरूप मुस्लिम पति
अपनी पत्नी को इकतरफा 3 बार तलाक, तलाक ,तलाक बोलकर अनिपस्थिति में भी तलाक दे कर विना किसी जीवन निर्वाह की जिम्मेदारी के बच्चों सहित तत्क्षण बेघर कर देता है ।उसके सामने दो ही विकल्प शेष बचते हैं कि भूख से तड़पते वच्चों का पेट भरने के लिये वह भीख मांगे अथवा वेश्यावृत्ति की शरण ले ।इसीलि वेश्यालयों में मुस्लिम महिलाओं की संख्या 80 % से अधि पाई जाती है ।
"हवाला ". .. प्रायः आवेश या नशे दशा में मुस्लिम पति
पत्नी को 3 तलाक दे देते हैं ,किन्तु वही युगलपुनः पति पत्नी के रूप में परस्पर सहमति से भी
साथ नहीं रह सकते हैं ।इसके लिए उन्हें पुनः निकाह करना पड़ता है और निकाह के पूर्व पत्नी को अपरिचित परपुरुष के साथ अनिच्छा से निकाह करके उससे यौन सम्बन्ध बनाना पड़ता है दूसरे पति की भूमिका का निर्वाह
अब प्रायः मस्जिद का काजी अथवा इमाम करता है और वह उस महिला और उसके पति को ब्लैकमेल करता है और मोटी रकम लेकर ही तलाक देकर पुनः निकाह कराने के लिए तैयार होता है ।तब पुनः विवाह हो पाता है। यहाँ यह चिन्तनीय है कि अपराध तो पति ने किया और अमानवीय सजा महिला को भोगनी पड़ती हैं ।इसी पीड़ा से बचने के लिए बेचारी पुरुषों के दमन और शोषणको बिना किसी आपत्ति के दहशत में जीने के ल
मजबूर रहती हैं ।
"मुताह "...यह व्यवस्था तो वेश्यावृत्ति का मजहबी रूप है ।
इसमें किसी भी बालिग नालिग लड़की को उनकी अय्याशी की मांग की पूर्ति के लिए 'तदर्थ विवाह ' कर के उस आदमी की यौन भूख को शिकार बनना पड़ता है और सम्बंधित कथित पति उसको अपनी यौन भूख की तृप्ति की पूर्ति के बाद उसे तलाक देकर उसकी जिम्मेदार से मुक्त हो जाता है । यह मुताह मात्र कुछ घंटे या कुछ दिनों के लिए ही होता ।इसके बाद उस लड़की का मुताह दूसरे ग्राहक से कराकर उसे नोचने खसोटने के लिये सौंप दिया जाता है ।य क्रम तब चलता रहता है जब तक वह उसक शरीर में पुरुषों की आवश्यकता पूर्ति की शक्ति शेष रहती हैं ।
"सेकुलर वेश्यावृत्ति ".... तीन तलाक ,हवाला ,मुताह को
संयुक्त करके कोई भी समझदार इस व्यवस्था को वेश्यावृत्ति के अतिरिक्त क्या नाम दे सकता है ।सामान्य जन भी इसे समझ सकता है ।इसे सेकुलर वेश्यावृत्ति इसलिये नाम दिया गया है ,क्योंकि इस अमानवीय रेप को सभी सेकुलर दलों और बौद्धिकों का एकजुट समर्थन मिला हुआ है ।
"नारी वादी .".... टी वी और अखवारों में कथित नारीवादी
गैर मुस्लिम महिलाओं के अधि कारों के संघर्ष करने का अभिनय करते दिखाई पड़ते रहते और महिलाओं के उत्पीड़न की सच झूठी कहानियां गढ़ते रहते हैं ।कोई संस्थ बनाकर नारी उत्थान के नाम पर सरकारी और गैर सरकारी चंदे पर अय्याशी करते रहते हैँ उनके इस्लामी दहशत में कभी चरण मुस्लिम मोहल्लों की ओर जाने में कांपने लगते हैं । इनको मुस्लिम माफ़ियाओं और काजियों से जर और जोरू में मौन रहनेकी हिस्सेदारी भी रहती है । ये इसलामी पापों और औरतों के शोषण को जन साधारण में लाने क बजाय उनके लिए आवरण की भूमिका का निर्वाह करते हैं ।
"व्यभिचारी" ....ये जितने भी मर्दवादी सेकुलर औरमुस्लिम
तीन तलाक ,मुताह ,चार बी बी ,हवाला को
को मुस्लिम का आतंरिक मामला बताकर नारी विरोधी अमानुषिक दमन और शोषण का समर्थन करते हैं वे सब के सब खुले अथवा बंद अय्याश और धूर्त व्यभिचारी हैं।
इनके लिये औरत केवल यौन पुत्तली है ।उनके लिए बहिन ,
बेटी के मानवीय पवित्र सम्बन्ध अर्थहीन हैं ।
अवाक् ...विस्मय में मूक हो जाना।
"भोज्य वस्तु "..... इस्लामी कठमुल्ले औरत को मात्र एक
अय्याशी के लिए भोग की वस्तु मानते हैं और
उनकी मान्यता है कि औरत को जब तक चाहो यूज करोऔर नीबू की तरह उसका पूरा रस निचोड़ कर उसे
सड़क पर फेंक दो।
"शूर ."...Facebookपर बहुत से स्त्री पुरुष क्रांति वीर
और वीरांगना के रूप में व्यवहार करते हैं वे भी इस मुद्दे पर इस्लामी जिहादी कोप से डरे हुये मौन की गुफा में घुस जाते हैं । उनकी क्रांति भी सुविधा पूर्वक अत्याचारी काजियों मुल्लाओं की सहमति से चल रही है ।
बेपर्द . .अनावृत ,पर्दा उठ जाना ,असली रूप में सामने आ जाना ।

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