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उत्तर प्रदेश के बस्ती सदर सीट पर राजनीति कब किस करवट बैठेगी इसका अंदाजा नही लगाया जा सकता। करीब एक साल से यह तय माना जा रहा था, पार्टी ने घोषित भी किया था कि सपा के टिकट पर हीरा व्यवसायी उमाशंकर पटवा सदर विधानसभा से चुनाव लडेंगे। इस बीच समाजवादी पार्टी की अंदरूनी जंग शुरू हुई तो कयासों का दौर तेज हो गया, कभी अखिलेश यादव के गुट से किसी नाम पर चर्चा हुई तो कभी मुलायम सिंह यादव के गुट की। अखिलेश के हाथ में पार्टी की कमान आयी तो पटवा का टिकट कटने की प्रबल संभावना बन गयी।

इसी बीच कांग्रेस सपा गठबंधन की संभावनायें तेज हो गयी। दोनो दलों के नेतृत्व ने साथ मिलकर चुनाव लड़ने के लिये गठबंधन की रूपरेखा तय की। सपा ने बस्ती की पांच विधानसभाओं में स्धौली, कप्तानगंज, सदर, हरैया, महादेवा में अपने उम्मीदवार पहले ही तय कर दिये थे। गठबंधन के बाद कप्तानगंज और सदर विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार खड़े किये जाने की अटकलें षुरू हुईं। सदर से अंकुर वर्मा, प्रेमशंकर द्विवेदी कांग्रेस के प्रबल दावेदार थे। लेकिन उन्हे निराशा हाथ लगी, यहां से महेन्द्र यादव को सपा का प्रत्याशी बनाया गया। गठबंधन ने कार्यकर्ताओं के स्वाभिमान पर ऐसा कुठाराघात किया कि शायद वे इसे भूल नही पायेंगे।


सदर सीट पर भाजपा ने दयाराम चैधरी को टिकट दिया है, कांग्रेस से अंकुर वर्मा को लड़ने का अवसर मिलता तो यह अनुमान लगाये जा रहे थे कि कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर होती। सदर विधानसभा में 2012 में बसपा के जितेन्द्र कुमार कुमार उर्फ नन्दू 53011 मत पाकर विजयी रहे जबकि कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक पाल दूसरे नम्बर पर थे उन्हे कुल 34008 वोट मिले थे। वर्तमान सांसद हरीश द्विवेदी 32121 वोट पाकर तीसरे नम्बर पर थे। इसी प्रकार सपा के चन्द्रभूषण मिश्रा को 23369 तथा दयाराम चैधरी को 23709 वोट मिले थे। वे पीसपार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे।

दल बदलकर उन्होने भगवा धारण कर लिया। अबकी बार बीजेपी ने उन पर भरोसा किया है। 2012 में यहां कुल 309759 मतदाता थे, कुल 181246 वोट पड़े थे जो कुल वोट का 58.51 फीसदी रहा। 20 उम्मीदवारों ने यहां से भाग्य आजमाया था। इस बार भी प्रमुख दलों के साथ ही कई निर्दल उम्मीदवार भी ताल ठोंक रहे हैं। फिलहाल सदर सीट पर जंग आसान नही है। जातीय समीकरण की बात की जाये तो यहां सवर्ण उम्मीदवारों में राजा ऐश्वर्यराज सिंह राष्ट्रीय लोकदल तथा अमरपाल सिंह पीस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। चर्चा है कि सपा ने कमजोर प्रत्याशी उतारकर भाजपा को जीत का मौका दे दिया है।

अशोक श्रीवास्तव



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