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सुहागरात..(last part)

उधर निशा का चिडचिडापन बढ़ता जा रहा था। बेमन से वह घर के कामों में सास का हाथ बटाती... सबके साथ उदासीन सा व्यवहार करती। उसके अंदर की सुघड गृहिणी और बेहतरीन कुक मानो खो से गए थे। बस किसी तरह दिन काट रही थी। सास उसे कई बार कह चुकी थी कि राजीव को मुगलई दाल मखनी और मिस्सी रोटी बहुत पसंद है ...उसके लिए बना दे ..मगर वह टाल देती।

6 महीने बीत गए । राजीव अपने वादे पर खरा उतरा था..। उसने भूलकर भी कभी निशा के करीब आने की कोशिश नहीं की और ना ही कभी निशा को जताया कि उसे कोई शिकायत है। इसके विपरीत वह हमेशा निशा को खुश रखने की कोशिश करता । एक समर्पित पति की तरह अक्सर ही निशा को कभी मूवी.. कभी रेस्तरां ..तो कभी मंदिर ले जाता । उस की छोटी से छोटी जरूरतों का ध्यान रखता।

इन्ही दिनो उषा ने एक बेटे को जन्म दिया । उषा की सास की तबीयत इन दिनी कुछ ठीक नहीं थी । जच्चा.. बच्चा के साथ साथ घर की समुचित देखरेख करने का सवाल के सामने खड़ा हो गया। इस स्थिति का जैसे ही निशा को पता चला उसने 10-15 दिन उषा के घर रहकर उसकी गृहस्थी में हाथ बताने का प्रस्ताव रखा । राजीव और उसकी मम्मी ने भी सहर्ष स्वीकृति दे दी।

निशा...उषा के घर चली गई ।

उन्ही दिनो रामनिवास का अपने भाइयों के साथ चल रहा बटवारे का मुकदमा जिरह की स्टेज पर आ गया।यदि रामनिवास मुकदमा जीत जाते तो लगभग 15 करोड़ की संपत्ति उनके हिस्से में आ जाती।

दोनों बाप बेटे रोज कचहरी जाते...घंटो वकीलो संग माथा मारते ।आखिरकार जिरह पूरी हुई ... 3 दिन बाद फैसला सुनाने की तिथि निश्चित की गई।

जिस दिन जिरह पूरी हुई उसी रात राजीव के मामा को....जो मेरठ मे रहते थे... अचानक दिल का दौरा पडा और वो चल बसे। रामनिवास और उनकी पत्नी को मेरठ जाना पड गया.. जहां एक हफ्ता लग जाना मामूली बात थी।

निशा अपनी बहन के घर ..और..माता पिता मेरठ..।राजीव घर मे अकेला रह गया।

उधर निशा ने उषा की गृहस्थी बखूबी संभाल ली। उसने बड़ी लगन से उषा और उसकी सास की समुचित देखभाल की ..घर का ध्यान रखा.. ।। यहां रहने के दौरान अजय के शानदार व्यक्तित्व का जादू और इनकी शानो-शौकत उषा के सर चढ़कर बोलने लगी थी। वह अक्सर अपनी ससुराल और उषा के ससुराल की तुलना किया करती ..राजीव और अजय की तुलना किया करती और मन ही मन अपनी किस्मत पर कुढती रहती । घर के कामों के अलावा जब भी समय मिलता वह और अजय खूब हंसी मजाक किया करते.. ताश खेला करते..टीवी देखते..।।

उसे यहां आये पांचवा दिन था।निशा ने सब को खाना खिलाया.. उषा और उसकी सास को अलग अलग आहार बना कर दिया.. दवाइयां दी.. सारा काम निपटाकर अपने कमरे में ..जो कि उषा के बेडरूम के बगल में था.. सोने चली गई।

पलंग पर लेटते ही उसे नींद आ गई। थोड़ी देर बाद अचानक उसे अपने बदन पर किसी के स्पर्श का एहसास हुआ तो उसकी नींद खुल गयी। कमरे में जलते हुए नाइट बल्ब मद्धिम रोशनी में उसने देखा कि अजय उसके बगल में बैठा है और उसके हाथ में उसके जिस्म पर नैतिकता की सीमा लांघकर फिर रहे है।

वह बुरी तरह चौंककर उठ बैठी।उसकी जुबान को ताला सा लग गया ..कुछ समझ नहीं पा रही थी कि क्या बोले..!!

उसकी चुप्पी का अजय ने कुछ और ही मतलब समझा.. उसका हौसला और बढ़ गया।उसने निशा के चेहरे को बाहों के घेरे में लेकर उसके होठों को चूमने की कोशिश की ...और कान मे फुसफुसाया.." आई लव यू निशा..आओ इस रात को हसीन बना दें..।।"

अजय के कुत्सित इरादों को भांपते ही निशा जैसे सकते की हालत से बाहर निकली..।। वह तडपकर उससे परे होती हुई ...अजय चेहरे पर एक जोर का तमाचा लगाया.. और नफरत भरे स्वर में बोली.." चुपचाप निकल जाओ यहां से..। अगर मुझे उषा का ख्याल ना होता तो सारे घर के सामने आपको नंगा कर देती..गेट आऊट..!!"

जिल्लत और शर्म से भरकर अजय चुपचाप कमरे से बाहर निकल गया ।।

उसके बाहर जाते ही निशा बिलख बड़ी। आज मानो वह एक छद्म दुनिया से बाहर निकली थी। अजय की जिस छवि के सम्मोहनने उसकी सोच को जकड़ रखा था वह आज तार तार हो गई ।रोते-रोते उसके जेहन पर राजीव का निष्पाप चेहरा उभरा... जो अजय जितना सुंदर भले ही ना हो ..मगर जिससे सच्चाई का नूर टपकता था।

उसके जेहन पर राजीव से जुड़ी यादे उभरने लगी। कैसे उसने बेक़सूर होते हुए भी बिना शिकायत निशा की ज्यादती सही थी.. कैसे वह हर वक्त उसकी खुशियों की परवाह किया करता था ..।।उसे याद आया कि पिछले दिनों एक शादी समारोह में अजय जहां गर्भवती उषा को अकेला छोड़कर.. लड़कियों के साथ चुहलबाजी.. फ्लर्ट और मस्ती में डूबा था वही ..राजीव सारे समारोह में उसके साथ साथ रहा था ।। राजीव के लिए तो मानो निशा के आगे दुनिया खत्म थी ।।

बड़ी मुश्किल से सदियों की तरह लंबी वो रात गुजरी..।। सुबह होते ही निशा ने अपना सामान पैक किया और उषा की सास के कमरे में जाकर कहा.." आंटी जी मेरा मन जरा ठीक नहीं है.. मैं घर जा रही हूं.. आप उषा को बता देना ..ll" और उनका जवाब सुनने से पहले ही वह बैग उठाकर घर के बाहर निकल गई और टैक्सी पकड़कर सीधी अपने घर पहुंची।

सुबह के 8:00 बजे थे। राजीव घर पर अकेला बैठा ड्राइंग रूम में tv देख रहा था । निशा को देखकर वह हैरान रह गया ।

"अरे ..तुम तो 8-10 दिन बाद आने वाली थी..!!"

" मेरा मन नहीं लगा वहां .. इसलिए लौट आई।।..आपने नाश्ता कर लिया..?" वह अपनेपन भरे स्वर में बोली।

" नहीं अभी तो बस उठा हूं.. आज हमारे बंटवारे के मुकदमे का फैसला आना है। 9:00 बजे कचहरी जाना है.. वहीं से दुकान पर चला जाऊंगा ।शायद आज लंच के लिए घर ना आ सकूं.. बाहर ही कुछ खा लूंगा।"

" आप तैयार हो जाइए.. मैं नाश्ता बना देती हूं..।"

राजीव ने सहमति मे सिर हिलाया..टीवी ऑफ किया.. और बाथरूम में घुस गया।

ड्राइंग रूम में अकेली खडी निशा ने सारे घर पर निगाह दौड़ाई ..।।आज घर का जर्रा जर्रा उसे अपना स्वागत करता महसूस हो रहा था । उसने एक ठंडी सांस ली.. और किचन में घुस गई थी ।

राजीव के नहा धोकर तेयार होने तक निशा ने सैंडविच और चाय बना ली और उसे सर्व कर दिया। जब तक वह नाश्ता करके उठता निशा ने फटाफट गोभी के दो पराठे और आम का मीठा अचार एक टिफिन में पैक कर दिया..। राजीव अपना बैग लेकर घर से निकलने को हुआ तो वह फटाफट टिफिन लेकर आई और उसे थमा दिया..और अधिकारपूर्ण भाव से बोली..." बाहर का खाने की कोई जरूरत नहीं..यह गोभी के पराठे पैक कर दिये है लंच में खा लेना।"

निशा के बदले बदले अंदाज राजीव को भी महसूस हो रहे थे। .."जरूर ये उसका वहम है" ..उसके मन ही मन सोचा ..फिर भी मन में एक अजीब से हर्ष का अनुभव करता उसने टिफिन बैग में रखा और विदा हो गया।

पीछे घर में निशा अकेली रह गई। उसने चारों ओर निगाहे दौड़ाई ।गृहिणी की उपस्थिति के अभाव में घर अपेक्षानुरूप बिखरा पड़ा था। उसमें साडी का पल्लू कमर में खोंसा और मनोयोग से घर को व्यवस्थित करने में जुट गई। शाम तक वह लगी रही.. इस दौरान उसने अपना सारा हुनर इस्तेमाल कर लिया ..और शाम होते होते जो घर सुबह कबूतरखाना हो रहा था... वह एक सुव्यवस्थित आशियाना बन गया।

शाम के 5:00 बज गए । वह थक गई थी.. मगर अभी उसे कुछ और करना था ।।उसने आधे घंटे आराम करके अपनी थकान मिटाई ...फिर उठी और नहा धोकर फ्रेश हुई।।उसने घड़ी पर निगाह दौडाई। 7:00 बजने को थे...।। 8:00 बजे राजीव का आना अपेक्षित था। कुछ याद करके उसके चेहरे पर एक मीठी मुस्कान तैर गई। फिर वह किचन में घुस गई और बेहद मनोयोग से मुगलई दाल मखनी व धनिये की चटनी बनाई और मिस्सी रोटी का आटा तैयार करके रख दिया।

अपेक्षानुरूप सवाआठ बजे राजीव घर लौटा ।उसका चेहरा खुशी से दमक रहा था। घर में घुसते ही उसने बैग सोफे पर फेंका और हर्षित स्वर में बोला..." निशा.. हम केस जीत गए..!! अब हमें अपना हक मिल जाएगा। हम जीत गए ..निशा.. हम जीत गए..!!" ...कहते कहते उसने घर पर चारों ओर नजर दौडाई..।। घर का कायापलट हो चुका था।उसने हैरानी से निशा की ओर देखा। निशा ने मुस्कुराकर सिर झुका लिया और मन ही मन बोली.."हां राजीव ...आप जीत गए ..!!अब आपको आपका हक जरुर मिलेगा!!"

"आप हाथ मुंह धो लीजिए मैं खाना लगाती हूं।" ..वह प्रत्यक्षतः बोली.. ।। " आज इतनी बडी खुशी का दिन है..हम साथ खाना खायेगे..।"

राजीव को कानों पर विश्वास नहीं हुआ।

"हां हां क्यो नही...!! वह प्रसन्नता से बोला।"क्या बनाया है आज..?"उसने पूछा।

" दाल मखनी और मिस्सी रोटी..।" निशा मीठी मुस्कराहट के साथ बोली।

"खास मेरी पसंद का खाना..!!" राजीव हैरान होता हुआ मंत्रमुग्ध सा वाशबेसिन की ओर मुड़ गया। वो समझ नही पा रहा था कि इतने बजे केस मे मिली जीत की खुशी मनाये या निशा के बदले व्यवहार की..!!"

थोड़ी देर बाद..।। दोनों ड्राइंग रूम के फर्श पर ही बैठ कर एक ही थाली में डिनर कर रहे थे।। खाना इतना जायकेदार बना था कि राजीव उंगलियां चाटता रह गया था। आज खाने के जायके मे एक मंजे हुए कुक के हुनर के साथ-साथ अपनी प्रियतमा के मनुहार का तड़का भी साथ था ।।अजय की आत्मा तक तृप्त हो गई ।

खाने के बाद निशा ने बरतन वगैरह हटाए.. और फिर अजय से बडे मनुहार भरे स्वर में बोली..." मेरा आइसक्रीम खाने का बड़ा दिल कर रहा है..? आप क्वालिटी बूथ से कसाटा का पैक मेरे लिए ला दोगे.. प्लीज..!!"

"अरे इतनी सी बात ..!!"..राजीव प्रसन्नता से बोला। उसके लिए यही बहुत था कि निशा ने उसे किसी काम के लिए बोला था। "देखो.. इस समय तो आइसक्रीम जनकपुरी मोड पर ही मिलेगी ...आने जाने में कोई आधा घंटा लग जाएगा.. तब तक तुम tv देखो मै आईसक्रीम लेकर आता हूं।" कहकर राजीन ने कार की चाबी उठाई और फ्लैट से बाहर निकल गया ।

यही तो निशा चाहती थी ।उसके जाते ही निशा अपने कमरे में गई ...अलमारी खोली.. और अपनी शादी का जोड़ा निकाल लिया।आज उसे फिर से दुल्हन बनना था..।।वह खुद का श्रृंगार करने में लग गई ..।।आधे घंटे बाद ...!! दुल्हन के जोड़े में सजी उसने अपना रूप आईने में देखा तो अपने हुस्न के जलाल को देखकर खुद ही शर्मा गई।फिर वह उसी पोज में बेड पर बैठ गई जैसे अपनी सुहागरात के समय बैठी थी.. और विरहणी की तरह अपने पति की प्रतीक्षा करने लगी। उसका रोम रोम आज राजीव के प्रति समर्पण के भाव में सुलग लग रहा था ।।

तभी उसे बाहर से राजीव की आवाज सुनाई दी..." निशा.. निशा..!! अरे भई कहां हो ..?"

आवाज लगाता हुआ वह बेडरुम में आया । वहां का नजारा देखते ही थमक कर खड़ा हो गया।उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। उसे लगा कि वह कोई सपना देख रहा है। दुल्हन की तरह सजा कमरा.. और दुल्हन के जोड़े में सजी निशा..।।। सारा मंजर अपनी कहानी खुद कर रहा था।। पलंग पर बैठी निशा का रूप अपसराओ को मात कर रहा था।

निशा धीरे से उठी और उसके पास चल कर आई। उसने अजय के हाथों से आइसक्रीम का पैकेट लेकर टेबल पर रख दिया और नज़रें नीची किए हुए बोली.." मेरे गुनाह की जो सजा आप दोगे मुझे मंजूर है ..मगर अपने दिल से मुझे कभी मत निकालना..!!" कहते हुए उसकी कमल जैसी आंखों से दो मोती निकलकर उसके गालों पर लुढक आये।

राजीव कंपित स्वर में बोला.." निशा ..मै कही सपना तो नहीं देख रहा ..!!तुमने मुझे स्वीकार कर लिया.?

निशा ने अपनी गोरी बाहे राजीव के गर्दन के गिर्द लपेट दी और भावविह्वल स्वर मे बोली.."मुझ जैसी बददिमाग लडकी को आपने स्वीकार किया ...कभी नफरत की नजर से देखा तक नही...ये तो मेरा सौभाग्य है..राजीव..!! मै आप जैसे देवता पुरूष के काबिल कहां हूं..!!"

राजीव ने आतुर भाव से उसे बांहो मे भर लिया। निशा लता की तरह उससे लिपट गई।वक्त जैसे थम गया।

कितनी ही देर दोनो यूं ही आलिंगनबद्ध खडे रहे।फिर निशा ने राजीव के कानो मे प्यारभरे स्वपनिल स्वर के साथ कहा.." उषा को बेटा हो गया..अब हम भी मम्मी पापा बनेगे..!!"

राजीव भावविभोर स्वर मे बोला.."हां...मगर मुझे बेटी चाहिये..।। तुम्हारे जैसी..!!"

"नही...!! आप जैसी..।। मेरे जैसी हुई तो नकचढी बनेगी..।।" वो हंसते हुए बोली।

राजीव भी हंस पडा।

दोनो ने पलंग की ओर नजर उठाई। निशा ने शर्माकर सिर झुका लिया।राजीव ने उसे अपनी बलिष्ठ बांहो मे उठाया और पलंग की ओर बढ चला।

सडक पार कहीं दूर लाउडस्पीकर पर गाना बज रहा था.."दो सितारो का जमीं पर है मिलन आज की रात..।।"

आईसक्रीम उपेक्षित सी पडी ...पिघलती रही।

आज उनकी सुहागरात थी।

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