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यू पी से ख़ास खबर....
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आज सुबह-सुबह अखिलेश ने नेताजी को फोन मिलाया...
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अखिलेश – नेताजी प्रणाम... अखिलेश बोल रहा हूँ....

नेताजी – जीए अहो टीपू ...मुहे माऊम हा कि तुहें अपईं गअती का एहहाह होआ औअ तुं माही माँअने के इए फों जऊअ काओगे....
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अखिलेश –अजी घंटा....माफ़ी काहे की...हमारा दिमाग खराब है कल रात से...
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नेताजी – कूँ का हुआ ??
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अखिलेश –आपको तो कछु पतो रेतो ई ना है....कल आपको लाल...आपको लख्ते जिगर पतीक जादव पूरे लखनऊ में लम्भोर्गिनी लेक घूमा है....
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नेताजी –लं...लं..लं...लंभोगिनी जे का होआ ऐ बे....कोई नया माअ आया है का लहनऊ में ??हीओइन ऐ का कोई ?? ह्ह्ह्हह्ह
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अखिलेश- हंसो मत .......गाड़ी का नाम है....बदेसी गाड़ी है ....
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नेताजी- तो उह्मे इन्ना गुह्हा होयें की का बाअ ऐ....गाई कोई बहुअ बई चीअ ऐ...तुम्हाए पाह नई ऐ का ??
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अखिलेश – पांच करोड़ की गाड़ी है...हम वो झान्टू सी सरकारी गाड़ी में घुमते हैं....एसी तक ना चलता ढंग से बिसमें ....हमारे सहित सगरे लखनऊ के करेजे पे सांप लोटा रहा है तुम्हारा लौंडा.....पैसा उसका..मौज उसकी...हमें का मिला ?? चूतिया बना दिया नेताजी आपने हमें...
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नेताजी –देहो एहा ऐ की तुहें हमएं चुइया नई बाआंया...वो तुं पैआइही ओ....उहे पैहा दिया तो तुहें पूआ उत्तअ पदेह दे दिया... मुक्खमंती बआं दिया....औअ का जां लोए...
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अखिलेश –रहैंन दो नेताजी...आपका सगरा प्यार बस वो कैकेयी पुत्र के लिए है...हमारा मन नहीं करता कि हम भी पतीक जादव की तरह स्मार्ट बन के रहें....जींस पहने टाइट टी शर्ट पहने...जिम जाएँ.....बॉडी बनाएं....
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नेताजी – तो पहओं किहने ओका ऐ तुहें ??
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अखिलेश –आपने नेताजी आपने...सगरी जवानी बर्बाद कर दी मेरी....जब से जवान हुआ हूँ सफ़ेद कुर्ता पाजामा और काली कोटी में घूम रहा हूँ....ठण्ड लगती है तो अन्दर से लक्स कोट्स-वूल पहनता हूँ...खर्चे के लिए रोज आपके सामने हाथ फैलाओ....वो सर पे कैप लगा के घूमता है नाईकी की...हमें आपने कभी जालीदार टोपी पहनाई....कभी हरी टोपी..वो भी सभाओं में फ्री में मिलने वाली......अच्छे खासे हैंडसम लौंडे को टोपालाल बना दिया.....जवानी बर्बाद है गई मेरी.....भरी जवानी में बूढा बना दिया हमें....
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नेताजी – ह्ह्ह्हह देहो एहा ऐ की जो तुं थोए बहुअ इह्माट दिहते बी ओ तो वो हमाई वजअ हे...वो तो भगवां का शुक्क मआंवो की उहने तुहें हमाई शक्ल का बआंया...हमाआ बेआ बआंया....जो हो उही बजैह से ओ....वअना लक्खन तुम्हाए हाह में कटोआ लेकअ भीह माँअने जैहे एं......
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अखिलेश –हमने फोन ये सोच के किया था आप मेरी बात समझेंगे....परिवार में पावर और पैसे की बाँट न्यायपूर्ण तरीके से करेंगे....हमारा झगड़ा ख़त्म होगा....लेकिन आप अपने पतीक-साधना-मोह से बाहर आने को तैयार नहीं हैं.....अब कोई सुलह नहीं होगी....
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नेताजी – तुंसे सुलह हं बी नई कअना चाहए एं अब....भाई के पति इन्नी ईह्या.....तुं बहुअ गन्ने इन्हान ओ....मुक्खमंती बनकअ अगअ एक लं लं लंभोगिनी नहीं कआं पाए तो मुहे शक ऐ की तुं मेए बेए ओ.....अब चुआंव में देहा जाएआ जो होआ.....बाय....

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