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49. " होगी नींद हराम , देश के बेईमानों की । "

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मैं छोटा आदमी हूँ और छोटे लोगों के लिये बड़े काम

करना चाहता हूँ । यह सरकार ग़रीबों की है , गरीबों के लिए है ।

30 दिसंबर तक ईमानदारों को परेशानी है और 30 दिसंबर के बाद बेईमानों की परेशानी शुरू होगी । ............... प्रधानमंत्री ,नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री के उपर्युक्त वक्तव्यों के परिप्रेक्ष्य में आज की पोस्ट प्रस्तुत है ........

"बेइमानों की लूट ने , देश किया बर्बाद ।
उजड़े पिछड़े दलित जन , अब होंगे आबाद ।।
अब होंगे आबाद , जिन्हें है गया उजाड़ा ।
हम लेंगे ही खोज , लूट- धन गहरे गाड़ा ।।
ख़ैर नहीं अब दिखे , 'कुटिल मन 'धनवानों की ।
होगी नींद हराम , लुटेरे बेइमानों की ।। "

" छोटा हूँ मैं आदमी , छोटों का है साथ ।
छोटों के ही हाथ में , सदा हमारा हाथ ।।
सदा हमारा 'हाथ , उठेगा ' गद्दारों पर ।
जन गण के जो शत्रु , शत्रु- दल के यारों पर ।।
पिया देश का खून , हुआ जो भी है मोटा ।
उस मोटे पर राज , करेगा जो है छोटा ।।"


विशेष ......
'कुटिल मन' ... काले धन और काले मन वाले ।
'लूट- धन ' ..... भ्रष्टाचार ,घूसखोरी ,कर चोरी आदि
के द्वारा एकत्र की गई काली कमाई ।
'हाथ उठेगा '.... लुटेरे अपराधियों को दण्डित करने
का प्रयास करना ।


50.  "उपसंहार- बनना ही है देश , पुनः सोने की चिड़िया । "
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हमारा देश कभी सोने की चिड़िया था । हम अपनी ही गलतियों से इतने दुर्वल और ग़रीब हो गये । हम में (भारत के जन गण में ) पुनः सोने की चिड़िया बनने की पूरी शक्ति है और हम सोने की चिड़िया बन कर रहेंगे । ............. "प्रधानमंत्री ,नरेन्द्र मोदी "

हमारी आज की पोस्ट प्रधानमंत्री के उपर्युक्त वक्तव्य को ध्यान में रखते हुये प्रस्तुत है ......

"सोने की चिड़िया ' रहा , कभी हमारा देश ।
कैसे कब दुर्वल बना , मुझे बहुत है क्लेश!!
मुझे बहुत है क्लेश , बना रक्षक से दुखिया !
रहा 'जगद्गुरु 'पूज्य ,'जगत् का शासक' मुखिया।।
किन्तु नहीं अब रही , घड़ी रोने - धोने की ।
बनना ही है इसे , पुनः चिड़िया सोने की ।। "

विशेष .....
' सोने की चिड़िया ' .... विदेशी आक्रांताओं के भारत
भारत आने के पूर्व भारत संपूर्ण विश्व में अपनी
सम्पन्नता और समृद्धि के लिए सोने की चिड़िया
कहा जाता था ।
'जगद्गुरु' ... जब भारत 'सोने की चिड़िया ' था उस
कालखण्ड में समस्त विश्व के विद्या का केंद्र
भी था । भारत के नालन्दा और तक्षशिला
विश्व विख्यात थे ।मात्र तक्षशिला ( जोकि
अब पाकिस्तान की सीमा पर खंडहर के
रूप में गुमनामी में खो गया है । )में उस
समय 10 हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते
थे । आचार्य चाणक्य ने वहीँ चंद्र गुप्त मौर्य
का अपने प्राध्यापन काल में वहीँ निर्माण
किया था ।नालंदा विश्व विद्यालय के विशाल
काय पुस्तकालय को मुस्लिम हमलावरों ने आग के हवाले कर दिया
उस पुस्तकालय को जलने में 6 मास का समय लगा ।
' जगत् का शासक '... पौराणिक काल तक भारत का
शासन सारे विश्व तक था । अतएव भारत का
शासक अर्थात् सम्राट को 'चक्रवर्ती सम्राट '
कहा जाता था ।



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