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Bangalore_Taharrush_कांड के जो भी समाचार आए हैं, कुछ बातें समझ में आ रही हैं जैसे कि :

सुनने में आ रहा है कि जहां यह कांड खेला गया वह इलाका शांतिदूत बहुल था । अगर ऐसा है तो इस इवेंट को अनुमति देने वाले प्रशासनिक अधिकारी की सूझबूझ पर संदेह होता है । जहां लड़के गलती नहीं बल्कि गलत काम करने की ही सीख पाते हैं वहाँ ऐसी इवेंट को अनुमती देना सवाल खड़े करता है, सवाल पूछे जाने भी चाहिए ।

ऐसे इवेंट्स में देखा जाता है कि स्थानिक युवतियों की संख्या कम हो सकती है बल्कि नौकरी निमित्त वहाँ रहनेवाले बाहरी लोगों की संख्या अधिक होती है । मेरा अनुभव है कि जहां पले बढ़े न हों, जहां कोई ज्यादा पहचान का न हो और जहां परिजनों के सामने लज्जित होने की शक्यता नहीं के बराबर हो वहाँ युवतियाँ - स्त्रियाँ daring करने की संभावना बढ़ जाती है । यहाँ भी यही स्थिति बनने की संभावना है । IT, KPO का क्राउड़ ही ज्यादा होगा। वैसे यह IT और KPO - BPO वालों में वामपंथी बहुत सक्रीय होते हैं । और क्यों न होंगे, इन में घर परिवार से दूर रहनेवाली युवतियाँ जो प्रचुर संख्या में होती हैं तो वामी अपने सभी skill sets को आजमाए बिना थोड़े ही रहेंगे ? महिला आजादी का पुरस्कार ज़ोर शोर से करते पाये जाएँगे ।

बाकी वामियों की महिला आजादी की व्याख्याएँ तो आप जानते ही हैं ।

एक बात खटक गई । लड़कियां ऐसे इवेंट्स में अकेली नहीं जाती। साथ में कोई बॉय फ्रेंड होगा ही । किसी ने हाथ नहीं उठाया ? कोई झड़प की खबर नहीं ? क्या बिस्तर में ही गरम खून का परिचय देते हो ? वैसे समझ में यह बात भी आती है कि cool dudes, cold हो गए होंगे शांतिदूतों की झुंड देखकर । यह बात उनके लिए अनपेक्षित भी थी । किसी का खून खौला भी हो तो यही सोच कर फिर से जम गया होगा कि बाकी सभी के तो हाथ पैर फूले ही नजर आते हैं, मैं अकेला क्या करूंगा । इसीलिए gym toned body को काम में लाए बिना ही ठंडे रहे होंगे । अब ये युवतियाँ उनके बारे में क्या सोचती होंगी यह जानने लायक बात होगी ।

सच पूछिए तो मैं इन लड़कियों की चिंता में संतप्त नहीं हूँ । लेकिन बात बुढ़िया के मरने की नहीं, यमराज घर देख जाने की है । आज इनके साथ जो हुआ है यह एक शक्ति परीक्षण है । ताकत की टेस्टिंग, जिसके कई हेतु हैं ।

--एक तो यह देखना कि क्या ऐसे करने में वे सफल हो जाते हैं ?
--लड़कियों के साथ जो लड़के हैं, क्या लड़ाके भी हैं या cold dude ही हैं ?
--क्या पुलिस हस्तक्षेप करेगी या वर्तमान काँग्रेस सरकार के वोट बैंक को निर्बाध काम करने देगी ?
--सफलता केवल छेड़ने की नहीं, अपनी सामाजिक दहशत कायम करने की भी होती है ।

पहले तीन मुद्दों पर तो वे सफल हो ही गए हैं, जिस तरह से राजनेता उनका बचाव कर रहे हैं । चौथे मुद्दे की बात करें तो समझ लेना चाहिए कि ये अपनी दहशत केवल उन लड़कियां और उनके cold dude बॉयफ्रेंड्स तक सीमित नहीं बल्कि पूरे समाज में फैलाना चाहते हैं कि हमसे डरो, क्योंकि पुलिस तुम्हारी सहायता नहीं करनेवाली । अगर यह इरादा है तो समाज को इसका समाधान खुद ढूँढना होगा और उम्मीद है कि पुलिस वहाँ भी मूकदर्शक ही बनी रहे और अगर नेता इनके बचाव में उतरे तो उन्हें भी प्रेम से प्रसाद बांटा जाये ।

एक बात साफ कहना चाहता हूँ उन मूर्ख हिंदुओं के लिए जो लड़कियों के कम कपड़े या वाहियात वर्तन को कोसने लगते हैं । यह समझ लीजिये कि आप मुसलमानों के जाल में फंस गए हैं । बात यह होनी चाहिए कि हमारी लड़किया जैसे चाहे वस्त्र पहन कर घूमें, उनकी तरफ गलत इरादे से देखने की किसी की हिम्मत नहीं होनी चाहिए, उसकी रूह कांपनी चाहिए ऐसे सोचने के पहले । यह स्थिति उत्पन्न करनी होगी क्योंकि आप अगर अपनी ही लड़कियों के चाल चलन का दोष निकालना शुरू करते हैं तो आप की सोच मुसलमान और उनके समर्थक निर्धारित करते हैं, आप उनकी ताल पर नाचने लगते हैं । आज कम कपड़ों वाली लड़कियों पर उठे हाथ को छूट दे कर लड़कियों को ही कोसते रह गए तो कल आप की बहन बेटी भी सुरक्षित नहीं रहेगी । और मुसलमान कौन होता है कि तय करे कि आप की स्त्रियाँ क्या पहने नहीं तो वो उन्हें छेड़ने का हक़ रखता है ? क्या इस मंशा और यह सोच को समझ नहीं रहे हैं आप ? पहले अपनी धाक जमाइये जो अपने महिलाओं को इन भेड़ियों से सुरक्षा कवच प्रदान करें । उनके वस्त्रों का मुद्दा बाद में देखा जाएगा । इलाके में भेड़िये को आने से डर लगना चाहिए, ये मत कहिए कि भेड़ बाड़े के बाहर गई तो भेड़िया तो झपटेगा ही ।

लक्ष्मण रेखा लांघने का दोष सीता का था । कांचन मृग के पूरे प्रकरण में दोषी वो ही है । कभी न देखे गए स्वर्ण मृग को मायावी न समझ कर राम को उसके पीछे दौड़ाना, लक्ष्मण की भर्त्सना कर उसे भेजना और उसकी बनाई हुई सुरक्षा रेखा लांघना । फिर भी श्रीराम उसे कोसते बैठे नहीं कि हाँ उसका ही दोष है, रावण तो आखिर जो है सो है । भगा ले गया, क्या करें, चलो, वनवास खत्म कर के दूसरा विवाह कर लेते हैं । नहीं, उन्होने रावण से युद्ध किया, उसका वध किया और सीता मैया को वापस ले आए । क्या हमें इस से कुछ भी सीखना नहीं है ?

करने को बहुत कुछ है । सब से पहले तो ऐसी पार्टियों में जानेवाले लड़के संघटित हों । ऐसे परिस्थिति से निपटने के लिए क्या करना होता है इसकी ट्रेनिंग लें । सामूहिक आक्रमण का सामूहिक एवं प्रभावी प्रतिकार, आपा खोये बिना कैसे करें यह कुछ प्राथमिक गुर सीखें । कम से कम punching bag पर फुर्ती से लगातार जोरदार घूंसे कैसे मारे इसकी प्रैक्टिस करें, punching bag बहुत महंगी नहीं आती ।

वैसे भी, लड़की की नजर में आप जो इज्जत गंवा बैठे हैं, उस इज्जत और अपने आत्म सम्मान की कीमत क्या है ? Punching bag उस से सस्ती ही होती है ।

तस्मादुत्तिष्ठ : !!

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