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25. " सेकुलर रज़िया हेजरी ,मैडम -मिस्टर -फ्रॉड । "
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' मिस्टर फ्रॉड' और' मैडम फ्रॉड ' के नोट बन्दी के वाद जो एक एक करके काले कारनामे जनता के सामने आ रहे हैं ।इनके विरोध की विक्षिप्तता के स्तर तक की उग्रता अर्थात् काले धन के पक्ष में चलाये जा रहे अभियान ने इनके स्वच्छ राजनीति की बिलकुल ही कलई उतार दी है ।जिस प्रकार इन्होंने नोटबंदी के आदेश की वापसी को जीवन मरण का प्रश्न बना लिया है । उससे इनकी राष्ट्र् निष्ठा पर भी संदेह होने लगा है ,क्योंकि पाकिस्तानी आतंकवादियों की मोदी के विरोध की भाषा और इनके विरोध की भाषा का स्वर समान है । इसी विचार भूमि में यह काव्यात्मक प्रतिक्रिया प्रस्तुत है .....

""सेकुलर रज़िया' 'हेजरी,'मैडम -मिस्टर - फ्रॉड ' ।
शत्रु पाक में हैँ रहे , इनके 'फ़ादर -गॉड' ।।
इनके फ़ादर- गॉड , उन्ही से निर्देशित हैं ।
सारे काले काम , 'श्वेतिमा - आवेशित ' हैं ।।
नोट बन्द से खुले , रहे ये पूरे 'जगलर ' ।
'विघटन इनका लक्ष्य, देश का ' हैं ये सेकुलर ।।
विशेष ...
'सेकुलर रज़िया '..अर्थात् 'अमता ' जी से मेरी fb
पूर्व पोस्ट्स में विस्तार से इंगित किया जा चुका है ।
"मैडम -मिस्टर -फ्रॉड" .. अर्थात् 'मैडम फ्रॉड 'और 'मिस्टर
फ्रॉड ' अर्थात् 'अमता 'और 'हेजरी '
"श्वेतिमा -आवेशित ".. मैडम फ्रॉड' अमता 'और मिस्टर
फ्रॉड 'हेज़री ' जिन्होंने स्वच्छ श्वेत राजनीति के
आवरण में परम्परा से हटकर जनता को एक
विशुद्ध लोक कल्याणकारी शासन देने का वादा
किया और सत्ता हथियाने के बाद देशऔर जनता के
साथ विश्वास घात किया है ।वह इनके ब्लैक मनी के
पक्ष में चलाये जा रहे उग्र विरोध से स्पष्ट हो गया है
" जगलर ."..नौटंकी बाज ,जादूगर , विश्वास घाती
" सेकुलर "... भारत और भारतीयता विरोधी इस्लाम।
के अन्ध समर्थक ।
" फ़ादर - गॉड'' अर्थात् 'गॉड फ़ादर ' संरक्षक ,
' मार्ग दर्शक '


26. "भारत माँ का त्रात हूँ , उसका चौकीदार । "
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देश को काले धन और काले मन ने बर्बाद कर दिया । इसलिए काले धन के साथ काला मन भी जाना चाहिये ।
जनता नें मुझे रिवन काटने अथवा दिये जलाने के लिये
के लिये प्रधानमंत्री नहीं बनाया ।
देशवासियों के समर्थन और आशीर्वाद से मैंने काला धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी है ।
जनता नें मुझे चौकीदार का काम सौंपा ,तो कुछ लोग परेशान हो उठे हैं ।
ग़रीब का पैसा गरीबों के काम आये गा । कुछ लोगोँ के
खून में बेइमानी है। ऐसे लोग सोचते थे कि पता नहीं चल पाये गा ।
समझ में आया तो पसीना छूट रहा है ।
यह (नोटबंदी ) सफाई अभियान है । .......... देहरादून ,परिवर्तन रैली में ,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
इसी विचार भूमि में आज की पोस्ट प्रस्तुत है .....

"त्राता ' का है भ्रम नहीं , किन्तु न मानूँ हार ।
भारत माँ का ' त्रात' हूँ , उसका 'चौकीदार '।।
उसका चौकीदार , 'प्रमुख सेवक' हूँ पक्का।
जर जमीन छू सके , न कोई चोर--उचक्का।।
त्यागे उसके लिये , पिता माता 'निज 'भ्राता ।
'जोकि अकिन्चन रहे , सभी' उनका मैं त्राता ।।


विशेष ....
' त्राता .'... रक्षक ।
' त्रात '.... रक्षित ।
'भारत माँ का त्रात .'...भारत माँ अर्थात् समस्त भारतभक्त
जनता की सामूहिक शक्ति के द्वारा रक्षित ।
' प्रमुख- सेवक' .. प्रधान सेवक , प्रधानमंत्री मन्त्री विभिन्न
अवसरों पर घोषित करते रहे हैं कि वे प्रधानमंत्री
नहीं भारतीय जनता के 'प्रधान सेवक 'हैं ।
' अकिन्चन.'..पैसा ,पद,प्रतिष्ठा सभी से सर्वथा वंचित जन,
कम्यूनिस्टों की शब्दावली में 'सर्वहारा '।
' निज .'.... अपने ।


27. मोदी से चिढ़ते जिन्हें , ...............

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"मोदी से चिढ़ते जिन्हें ,मातृभूमि से वैर ।
आतंकी सहमें हुये , मना रहे हैं खैर ।।
मना रहे हैं खैर ,हिंदु जन नहीं डरेंगे ।
अति पिछड़े मजदूर ,दलित भी मौज करेंगे ।।
अगड़ा पिछड़ावाद ,सेकुलरों की जड़ खोदी।
वर्णवाद मनुवाद ,शत्रु सबके हैं मोदी ।।"
विशेष ...
हिंदु जन .... हिन्दुस्तान के समस्त निवासी जो
आतंक की दहशत में दशाब्दियो से
डरे सहमे जी रहे हैं ।
सेकुलर ... जिन्हें भारत और भारतीयता से हर स्तर
पर वैर ,धर्म से घोर विरोध ,किन्तु मजहब
और मजहबी रीति रिवाजों में निष्ठा ।
वर्णवाद ....विशुद्ध रूप से गुण कर्म पर आधारित
वर्णव्यवस्था को जन्म पर आधारित
जाति व्यवस्था में रूपान्तरित करके
उसको विखण्डन कारी रूप दे दिया ।
जातिवाद विषाक्त रूप में 'वर्णवाद '
कहलाता है ।इसके दो ख़तरनाक पहलू
यह एक ओर से 'सवर्णवाद 'और दूसरी
ओर से 'अवर्णवाद' के रूप में दिखाई
देता है ।ये दोनों भारत राष्ट्र् के लिये
समान रूप घातक सिद्ध हुये हैं ।
एक दूसरे के पूरक और सहयोगी
सहायक हैं ।
मनुवाद ... गुलाम अली 'मनु ' ( पूर्व नाम पण्डित
बजरंग दास अकबर का दरबारी ) ,उसके
निर्देश पर इसने अनेक भारतीय मान्य
ग्रंथों में अनर्गल अंश जोड़ दिए जो मूल
ग्रन्थ के उद्देश्य से सर्वथा विपरीत अर्थ
देने लगे । मनुस्मृति सबसे ज्यादा भ्रष्ट
की गई । ज्यादा विस्तार में न जाकर
निष्कर्ष की बात यह है ।उपलब्ध
मनुस्मृति वैवस्वत मनु द्वारा रचित
मनुस्मृति नहीं है ।यह भारतीय समाज
को शासन के निर्देश पर स्थाई रूप से ई
विघटित करने के लिये 'गुलाम अली'
" मनु "द्वारा लिखित मनुस्मृति है ।यह
यह पढने योग्य भी नहीं है ।
आजकल दशाब्दियों से चर्चित "मनुवाद"
का स्रोत यही फर्जी मनुस्मृति है ।



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